कोई भी व्यक्ति किसी भी जाति धर्म या समुदाय से सम्बंध क्यों न रखता हो लेकिन सभी के खून का रंग लाल ही होता है। क्योंकि कुदरत एक ऐसी चीज है जो किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करती है। लेकिन इस दुनिया में कभी-कभी एसी कहानियां हो जाती हैं जिसे देखकर विज्ञान भी कोई सटीक तर्क नहीं दे पता है।
कुछ ऐसा ही हुआ जेम्स हेरीसन नाम के शख्स के खून के साथ। जेम्स हेरीसन नाम के इस व्यक्ति का जन्म 27 दिसम्बर 1936 को हुआ था। जेम्स जब 14 साल के थे तब उन्हें अचानक से छाती में दर्द हुआ जिसके बाद उन्हें चेस्ट सर्जरी के लिए अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान जेम्स हेरीसन को 13 लीटर खून भी चढ़ाया गया।
3 महीने तक अस्पताल में दिन काटने के बाद जेम्स ने जिंदगी और मौत के बीच फर्क को काफी करीब से देखा। बता दें कि अलग-अलग लोगों द्वारा दिए गए 13 लीटर खून से जेम्स के दिल में रक्त दान करने का जज्बा आया। उस समय वह सिर्फ 14 साल के थे और उन्होंने तब सोचा था कि वह 18 साल की उम्र से ही रक्त दान शुरू कर देंगे।
इस तरह जेम्स का खून था दूसरे लोगों से अलग
जेम्स जब 18 साल की उम्र में पहली बार ब्लड डोनेट गए तो डॉक्टर भी उनका खून देखकर हैरान हो गए। जेम्स के खून में एक तरह के रेयर एंटीजन पाएगए जिससे एक बेहद खतरनाक बीमारी रेसस का इलाज होता था। इस तरह से रेसस नाम की बीमारी से जूझ रहे किसी भी इंसान के लिए जेम्स का थोड़ा सा ही खून किसी चमत्कारी दवा से काम नहीं था क्योंकि उसमें दुर्लभ एंटीजन मौजूद थे।
1000 बार रक्त दान करके बचाई 20 लाख लोगों की जान
जेम्स को जब अपने खून की इस खूबी के बारे में पता चला तो उन्होंने फिर जल्दी-जल्दी से खून देना शुरू कर दिया। इसके बाद से वह रेसस बीमारी से जूझ रहे लोगों को खून डोनेट करने लगे।
अभी तक वो अपना 1000 बार रक्त दान कर चुके हैं। जिसके लिए उन्हें ब्लड डोनेट करने का वल्र्ड रिकॉर्ड भी उनके नाम है। ऐसे में वो अपना खून देकर 20 लाख से ज्यादा लोगों की जान भी बचा चुके हैं।