पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस तिथि को भक्तजन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं और जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं। हमारे वेदों और पुराणों में इस व्रत की महिमा के बारे में कुछ खास बातें बताई गई हैं। हमारे पुराण में बताया गया है कि भारतवर्ष में रहने वाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।101 गौ दान जितना फल देता है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत, पर सही विधि और विधान से किया जाए।
गौ दान हजारों-लाखों पाप नष्ट करने वाला अदभुत ईश्वरीय वरदान है। पर गौदान हर कोी नहीं कर सकता लेकिन एक जन्माष्टमी का व्रत 101 गौ दान के पुण्य की बराबरी का है। अगर आप गौ दान नहीं कर पाते हैं तो जन्माष्टमी का व्रत करके पुण्य कमा सकते हैं।
इस दिन कई लोग पूरा दिन व्रत रखते है और रात में 12 बजे के बाद भगवान कृष्ण के जन्म के बाद व्रत खोलते हैं। इसके अलावा व्रत करने वाले लोगों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है।
जन्माष्टमी के दिन कई लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जिसमें खाना और पीना नहीं खाते हैं। शरीर को एनर्जी से भरपूर रखने के लिए ताजे फल और ड्राई फ्रूट्स का सेवन कर सकते हैं। वो भी केवल एक बार ही खाएं।
भगवान श्रीकृष्ण को गाय से बहुत प्रेम था।ऐसे में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर भूलकर भी गोवंश को मारना या सताना नहीं चाहिए, अन्यथा पूजा और व्रत का फल नहीं मिलता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को रखने वाले को भूलकर भी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर न तो तुलसी की पत्तियां तोड़नी चाहिए और न ही किसी पेड़-पौधे को काटना चाहिए।जन्माष्टमी की पूजा के लिए तुलसी दल एक दिन पूर्व ही तोड़कर रख लेना चाहिए।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भूलकर भी काले वस्त्र पहनकर पूजा न करें।इसकी बजाय पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है।