वक़्फ़ बोर्ड ताजमहल पर मालिकाना हक साबित करने में नाकाम, ये खुदा की संपत्ति - Punjab Kesari
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वक़्फ़ बोर्ड ताजमहल पर मालिकाना हक साबित करने में नाकाम, ये खुदा की संपत्ति

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नई दिल्‍ली :  ताज महल पर मालिकाना हक के मामले पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं कर सका जिसके उसका ताजमहल पर मालिकाना हक साबित होता हो। हालांकि बोर्ड ने आज भी अपनी पुरानी बात को दोहराते हुए कहा कि ताजमहल पर उनका हक है। वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि ताजमहल का मालिक अल्लाह है। अगर कोई संपत्ति एक बार वक्फ को दे दी जाती है तो वह अल्लाह की संपत्ति बन जाती है। इसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आप कोर्ट का समय खराब कर रहे हैं।

बोर्ड ने कहा कि कोई भी मानव ताजमहल का मालिकाना हक नहीं जता सकता, ये ऑलमाइटी (सर्वशक्तिमान) की संपत्ति है । हम मालिकाना हक नहीं मांग रहे सिर्फ ताजमहल के रखरखाव का हक मांग रहे हैं. फतेहपुर सीकरी का एक हिस्सा जहां मस्जिद है वो बोर्ड के पास है और आसपास का हिस्सा ASI के पास है। वहीं कोर्ट में ASI ने इसका विरोध किया है और कहा कि अगर ताजमहल का वक्फ बोर्ड को हक दिया गया तो ये दिक्कत पैदा करेगा. कल को वो लाल किला और फतेहपुर सीकरी को लेकर भी हक मांगेंगे। इस मामले की अंतिम सुनवाई 27 जुलाई को होगी।

आपको बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में ये कौन विश्वास करेगा कि ताज़महल वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है। इस तरह के मामलों से सुप्रीम कोर्ट का समय जाया नही करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिपण्णी ASI की याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें ASI ने 2005 के उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के फ़ैसले को चुनौती दी है, जिसमें बोर्ड ने ताजमहल को वक़्फ़ बोर्ड के संपति घोषित कर दी थी।

कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताज महल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थी। आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है। बोर्ड की ओर से कहा गया कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहां ने ही ताजमहल का वक्फनामा तैयार करवाया था। इस पर बेंच ने तुरंत कहा कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें। बोर्ड के आग्रह पर कोर्ट ने एक हफ्ते की मोहलत दे दी।

दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आदेश जारी कर ताज महल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था। एएसआई ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. इस पर कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था। मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की सम्पति घोषित करने की मांग की थी, लेकिन हाई कोर्ट में कहा कि वक़्फ़ बोर्ड जाए।

मोहम्मद इरफान बेदार ने 1998 में वक़्फ़ बोर्ड का के समक्ष याचिका दाखिल कर ताज़महल को बोर्ड की सम्पति घोषित करने की मांग की। बोर्ड ने ASI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और ASI ने अपने जवाब में इसका विरोध किया और कहा कि ताजमहल उनकी सम्पत्ति है, लेकिन बोर्ड ने ASI की दलीलों को दरकिनार करते हुए ताज़महल को बोर्ड की सम्पति घोषित कर दी थी।

 

 

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