उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) गठबंधन की हार ने प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) में बड़ा भूचाल ला दिया है। रालोद चीफ जयंत चौधरी की ओर से पार्टी के सभी प्रदेश, क्षेत्रीय, जिला और फ्रंटल संगठन रद्द किए जाने के बाद अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने 7 पेज का ओपन लेटर लिखकर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।
मसूद ने मुसलमानों और दलितों को दरकिनार करने का आरोप लगाया
उन्होंने जयंत चौधरी और अखिलेश यादव पर पैसे लेकर टिकट बांटने के भी आरोप लगाए हैं और दावा किया है कि हापुड़ सीट का टिकट 8 करोड़ रुपए में बेचा गया। लेटर में मसूद ने मुसलमानों और दलितों को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए चंद्रशेखर रावण को साथ नहीं लेने से नुकसान की बाात कही है तो स्वामी प्रसाद मौर्य की हार का जिक्र करते हुए कहा है कि अचानक उन्हें वहां भेजने की वजह से ऐसा हुआ।
अखिलेश जी ने गठबंधन के सभी घटकों से सीटों की चर्चा करने से इनकार कर दिया
#यूपी चुनाव में टिकट बेचने, टिकट देने में मनमानी करने, दलितों और मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए #RLD के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने पार्टी छोड़ दी है. उन्होंने जयंत चौधरी @jayantrld को चिट्ठी लिख कर सारी बातें बताई हैं pic.twitter.com/UBhqMlYKqf
— पंकज झा (@pankajjha_) March 19, 2022
वहीं, मसूद ने जो बातें लेटर में लिखी हैं उससे जाहिर होता है कि चुनाव के बीच गठबंधन साथियों में दरार थी। कम सीटें मिलने की वजह से जयंत को अकेले भी चुनाव में उतरने की सलाह पार्टी ने दी थी। मसूद ने लिखा कि 12 जनवरी 2022 को मैंने आपके आदेश पर पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अखिलेश जी से बातचीत की। इसमें अखिलेश जी ने गठबंधन के सभी घटकों से सीटों की चर्चा करने से इनकार कर दिया। इसकी सूचना मैंने आपको दी।
सपा ने रालोद के एक भी नेता को अपने निशान पर नहीं लड़ाया
इस अपमान के चलते मेरे और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने आपसे चुनाव में अकेले उतरने का आह्वान किया, लेकिन आखिरी फैसला आपके ऊपर छोड़ दिया। आपके द्वारा कई दौर की वार्ता के बाद पार्टी को आश्वस्त किया कि हमें 36 सीटों पर चुनाव लड़ना है, जिसमें पूरब की 3 सीटें, 1 सीट लखीमपुर, 1-1 सीट बुंदेलखंड और प्रयागराज मंडल की भी होंगी। आपने यह भी आश्वस्त किया कि कुछ सीटें हम एक दूसरे के सिंबल पर भी लड़ेंगे, जिस क्रम में 10 समाजवादी नेता रालोद के निशान पर लड़ाए गए, जबकि सपा ने रालोद के एक भी नेता को अपने निशान पर नहीं लड़ाया।
चुनाव शुरू होते ही बाहरी लोगों को टिकट दिया जाने लगा
मसूद ने लिखा है चुनाव शुरू होते ही बाहरी लोगों को टिकट दिया जाने लगा। पार्टी के प्रत्याशियों से दिल्ली कार्यालय में बैठे लोग करोड़ों की मांग करने लगे। उन्होंने कहा है कि जयंत चौधरी को इसकी सूचना दी गई तो उन्होंने भी इसे पार्टी हित में बताया। मसूद लिखते हैं, ”दिन में 2 बजे पार्टी में आए गजराज सिंह को उसी दिन 4 बजे हापुड़ विधानसभा सीट से टिकट दे दिया गया, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया। हापुड़ विधानसभा में 8 करोड़ रुपए लेकर टिकेट बेचे जाने की बात से पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष उत्पन्न हुआ, जिसकी मैंने आपको सूचना दी थी।”
मसूद ने पूछे कई तीखे सवाल
टिकट पैसे लेकर क्यों बेचे गए? गठबंधन की सीटों का ऐलान समय रहते क्यों नहीं किया गया? टिकट भी आखिरी समय पर क्यों बांटे गए? रालोद, अपना दल, आजाद समाज पार्टी और महान दल को क्यों अपमानित किया गया? आप दोनों ने मुस्लिम और दलित मुद्दों पर क्यों चुप्पी साधी? आप दोनों द्वारा मनमाने तरीके से टिकट क्यों बाटें गए? रालोद के निशान पर 10 समाजवादी नेता चुनाव लड़े पर समाजवादी निशान पर एक भी रालोद नेता नहीं उतारा गया, जबकि आपके द्वारा टीवी चैनलों पर इसकी घोषणा की गई थी।
आपने स्वंय घोषणा की थी कि हम 403 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, लेकिन रालोद ने ना तो पश्चिम के बाहर चुनाव लड़ा ना ही आपकी तस्वीर या पार्टी का झंडा पूरब में दिखाई पड़ा। सपा द्वारा पार्टी को अपमानित किया गया और वाराणसी में जो कुछ हुआ वो भी निंदनीय रहा। ऐसा क्यों? मसूद ने इन 7 सवालों के जवाब अखिलेश और जयंत से 21 मार्च तक मांगा है। उन्होंने लेटर में कहा है कि यदि इन सवालों के जवाब नहीं दिए जाते हैं तो इसे उनका प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा समझा जाए।