UP चुनाव से पहले सभी दल जातीय समीकरण दुरूस्त करने में जुटे, पिछड़ा कार्ड खेलकर सपा बढ़त लेने की कोशिश में - Punjab Kesari
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UP चुनाव से पहले सभी दल जातीय समीकरण दुरूस्त करने में जुटे, पिछड़ा कार्ड खेलकर सपा बढ़त लेने की कोशिश में

राजनीतिक विष्लेषकों की मानें तो सपा हार जरूर गयी है, लेकिन उसने इस चुनाव के जरिए पिछड़े वोट

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सभी दल अपनी जातीय समीकरण दुरूस्त करने में लगे है। ऐसे में पिछड़ों की पार्टी कही जाने वाली समाजवादी पार्टी ने विधानसभा उपाध्यक्ष के चुनाव में पार्टी की ओर से नरेन्द्र वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाकर पिछड़े वोटरों के दिल में जगह बनाने की कोशिश की है।
नितिन अग्रवाल को समर्थन देकर सपा भाजपा को पीछे कर सकती थी
समाजवादी पार्टी ने यह दांव चलकर प्रदेश के सबसे बड़े वोट बैंक पिछड़े का हितैषी बताने का प्रयास किया है। इसके साथ ही सत्तारूढ़ दल पर आरोप भी लगाने का मौका मिल गया कि उसने पिछड़े वर्ग के प्रत्याषी को उपाध्यक्ष नहीं बनने दिया है। नीतिन अग्रवाल के नाम की चर्चा के बाद से ही सपा सर्तक हो गयी थी। राजनीतिक हल्कों में चर्चा है कि नितिन अग्रवाल को समर्थन देकर सपा भाजपा को पीछे कर सकती थी, पर उसने ऐसा नहीं किया। उसका पूरा मकसद पिछड़ा वर्ग को अपने ओर आकर्षित करने का था।
 अखिलेश ने इस चुनाव के जरिए एक तीर से कई शिकार किए
राजनीतिक विष्लेषकों की मानें तो सपा हार जरूर गयी है, लेकिन उसने इस चुनाव के जरिए पिछड़े वोट बैंक के मुद्दे पर भाजपा को घेरने का पूरा प्रयास किया है। साथ ही उसने बता दिया कि नरेश अग्रवाल और नितिन से अब उनका कोई मतलब नहीं बचा है। अगर अग्रवाल पर सपा नरमीं करती तो नुकसान ज्यादा होता। सपा अभी ऐसा जोखिम लेने के मूड में बिल्कुल नहीं है। सपा ने चुनाव लड़कर अपनी संख्या से ज्यादा वोट बटोकर यह भी साबित कर दिया कि वह ही भविष्य में भाजपा से मुकबला कर सकती है। अखिलेश ने इस चुनाव के जरिए एक तीर से कई शिकार किए हैं। एक तो गैर यादव पिछड़ो को महत्व का संदेश दिया, इसके अलावा भाजपा के कोर वोट कुर्मी के जरिये घेरने का प्रयास किया है। इस चुनाव के दांव-पेंच की झलक आने वाले समय में मैदान में देखने को मिल सकती है।
 भाजपा सरकार ने विपक्षी दलों के बिना सहमति के चुनाव कराया है
सपा के एक नेता ने बताया कि सियासी तौर हमें बड़ी बढ़त मिली है। उन्होंने बताया कि संख्या बल के हिसाब से हमें 60 वोट मिलना बढ़त का संकेत है। इसके अलावा भाजपा ने पिछड़ा विरोधी काम किया है। इसका भी हथियार पार्टी को मिल गया है। साथ आने वाले समय में विधानपरिषद में उपसभापति का चुनाव है। इसमें सत्तारूढ़ दल की वास्विकता सामने आ जाएगी। नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार ने विपक्षी दलों के बिना सहमति के चुनाव कराया है। अपनी मर्जी से प्रत्याशी उतारकर उसने इस कृत्य को इतिहास का काला अध्याय बना दिया है। उन्होंने कहा भाजपा ने लोकतांत्रिक मूल्यांे की हत्या की है। यह चुनाव सर्वसम्मति से होना चाहिए।

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