फोन काट देते हैं सचिव, कोई नही सुनता, राज्यमंत्री होने के बावजूद भी झेलने पड़ता हैं अपमान - Punjab Kesari
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फोन काट देते हैं सचिव, कोई नही सुनता, राज्यमंत्री होने के बावजूद भी झेलने पड़ता हैं अपमान

योगी सरकार मे मंत्री दिनेश खटीक ने सरकार पर ब्यूरोक्रेसी हावे होने का गंभीर आरोप लगाया हैं, राजनीतिक

योगी सरकार मे मंत्री दिनेश खटीक ने सरकार पर ब्यूरोक्रेसी हावे होने का गंभीर आरोप लगाया हैं, राजनीतिक हल्कों में दिनेश खटीक के इस्तीफा देने की खबर चर्चा का विषय बन रही हैं। यही नहीं दिनेश खटीक ने सरकार के अफसरों पर दलित होने के नाते अपमान करने का आरोप लगाया है। अफसरों के व्यवहार से तंग आकर दिनेश खटीक ने सरकार को चेतावनी देते हुए इस्तीफा देने की घोषणा की। राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह को  पत्र लिखकर अपने इस्तीफे देने की व्यथा को व्यक्त किया हैं। दिनेश खटीक ने लिखा है कि मैं दलित हूं इसलिए कोई अफसर मेरी बात नहीं सुनता है। फोन काट देता है। मुझे मीटिंग की सूचना तक नहीं दी जाती है। ना ही विभाग में कौन-कौन सी योजनाएं चलाई जा रही हैं तथा क्या कार्रवाई हो रही है इस बारे में अधिकारी मुझे बताते तक नहीं है। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह को लिखी दिनेश खटीक के इस्तीफे की चिट्ठी वायरल हुई हैं।  बताया जा रहा हैं दिनेश के इस्तीफे की खबर के बाद से ही भाजपा नेतृत्व उन्हें मनाने में जुटा हैं।   
तबादले के नाम पर खुला भष्ट्राचार का उधोग , सचिव ने काटा फोन
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देश में बड़े स्तर पर हर सरकार अफसरों का तबादला करती हैं। कई बार तबादला ना हो इसलिए छोटे अफसर बड़े अफसर को लालच की बानगी में फंसा देते हैं। ताकि तबादला रूक जाए। ऐसा कई बार कई राज्यों की सरकारों में तबादले के नाम पर अफसरों से पैसे की वसूली करने का आरोप लगा हैं। जिनके केस  खुलकर मीडीया के सामने आने पर सुर्खियों बनी।  राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने भी अमित शाह को लिखे पत्र में ऐसा ही आरोप लगाया हैं। उन्होंने कहा कि मैंने ट्रांसफर की सूची मांगी जिसकी अभी तक कोई सूचना नहीं दी गई। कई दिनों बाद विभागाध्यक्ष को फोन कर सूचना देने के लिए कहा गया। वह भी उपलब्ध नहीं कराया गया। प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग को इस संदर्भ में फोन करके सूचना देना चाहा तो उन्होंने बिना मेरी बात सुने फोन कट कर दिया और मेरा अपमान किया।
दलित हूं इसलिए किया जा रहा हैं अपमान , पत्र का नही मिलता कोई जवाब 
दिनेश ने कहा कि एक दलित मंत्री हूं इसलिए इस भाग में मेरे साथ बहुत ज्यादा भेदभाव किया जा रहा है। मुझे अभी तक कोई अधिकार नहीं दिया गया है। इसीलिए मेरे पत्र का जवाब नहीं दिया जाता है। मेरे द्वारा लिखे गए पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। इस विभाग में नमामि गंगे योजना के अंदर बहुत बड़ा भ्रष्टाचार फैला हुआ है जो ग्राउंड पर जाने पर पता चलता है। जब मैं कोई शिकायत भी किसी अधिकारी के विरुद्ध करता हूं तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती चाहे तो इसकी किसी एजेंसी से जांच कराई जा सकती है।
अखिलेश यादव ने किया ट्वीट

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने दिनेश खटीक के पत्र को लेकर टविटर पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि कभी-कभी बुलडोज़र उल्टा भी चलता है।

उन्होंने लिखा कि जहां मंत्री होने का सम्मान तो नहीं लेकिन दलित होने का अपमान मिले… ऐसी भेदभावपूर्ण भाजपा सरकार से त्यागपत्र देना ही अपने समाज का मान रखने के लिए यथोचित उपाय है।
आपको बता दे की विपक्ष के साथ कुछ सत्तापक्ष के विधायक भी अफसरों के कामकाज के तरीके नाखुश हैं। जिसकी यह शिकायत हाईकमान तक कर चुके हैं। योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी सौ से अधिक विधायक सरकार के खिलाफ विधानसभा में धरने पर बैठ गए थे । लेकिन अबकी बार यह प्रकरण मीडीया की सुर्खिया बन गया हैं। सबसे बड़ा सवाल हैं कि क्या सख्ती के नाम प्रशासन व अफसर लगातार जनप्रतिनिधि को अनदेखा कर रहैं हैं ।  

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