आदिपुरुष को लेकर हाइकोर्ट ने सभी विपक्षी पक्षकारों को लगाई फटकार, तलब किया हलफनामा , कहा - आखिर क्या सोचकर यह फिल्म बनाई गई - Punjab Kesari
Girl in a jacket

आदिपुरुष को लेकर हाइकोर्ट ने सभी विपक्षी पक्षकारों को लगाई फटकार, तलब किया हलफनामा , कहा – आखिर क्या सोचकर यह फिल्म बनाई गई

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने हिन्दी फिल्म ‘आदिपुरुष’ को धार्मिक भावनाओ को ठेस पहुंचाने वाली करार

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने हिन्दी फिल्म ‘आदिपुरुष’ को धार्मिक भावनाओ को ठेस पहुंचाने वाली करार देते हुये सभी विपक्षी पक्षकारों को फटकार लगायी और व्यक्तिगत हलफनामा तलब किया।
कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट करे कि आखिर क्या सोचकर यह फिल्म बनाई गई और कैसे पूरी कमेटी व सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को प्रमाणपत्र दे दिया। पीठ ने खुली अदालत में सभी विपक्षी पक्षकारों को फटकार लगाते हुए हिदायत दी कि किसी भी धर्म को ठेस पहुंचने वाले डायलाग व चित्रों से भरपूर कोई फिल्म भविष्य में जारी न की जाय।
सुनवाई के समय खुली अदालत में कहा ‘‘ अगर इस पर भी हम लोग ( हाईकोर्ट ) आंखें बंद कर लें तो आगे आने वाली पीढ़ व समाज को क्या शिक्षा मिलेगी।’’ बचाव पक्ष से आए वकीलों से भी कोर्ट ने कहा ‘‘ फिल्म में भगवान राम और सीता का जो चित्रण दिखाया गया है आप लोग इसे स्वीकार कर पाएंगे। वकील बचाव जरूर करता है लेकिन नैतिकता और समाज की गलत आदतों को बढ़वा नही देता। कोर्ट ने केंद, सरकार के वकील के यह कहने पर कि फिल्म में डिसक्लेमर दिखाया गया है, मौखिक टिप्पणी की कि फिल्म में आप भगवान राम, लक्ष्मण जी,सीताजी हनुमान जी, रावण व लंका को दिखा रहे हैं। फिर डिसक्लेमर में कहते हैं कि यह रामायण नहीं है। ऐसा करके क्या लोगों व युवाओं को बिना दिमाग वाला समझते हैं।’’ कोर्ट ने मामले में केंद, के वकील से कहा कि यह बताए कि सिनेमा कानून के तहत क्या कारवाई की जा सकती है।आप सभी लोग यह तय करके बताए कि इस मामले का निदान क्या है और क्या करने से भविष्य में फिल्म वाले लोग किसी भी धर्म के खिलाफ जाकर ऐसी गलती दोबारा न करे।
याचिका दायर कर इस फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की गुहार हाईकोर्ट में की गई है और साथ ही दोषी लोगो के खिलाफ कारवाई की मांग की गई है। न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की ग्रीष्मावकाश कालीन खंडपीठ ने यह आदेश विचाराधीन जनहित याचिका में याचिकाकर्ता कुलदीप तिवारी व एक अन्य याचिका पर दिया है।
याची की ओर से अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने फिल्म में दिखाए गए सीन के फोटो को आपत्तिजनक कहकर पेश किया। इनमें रावण द्वारा चमगादड़ को मांस खिलाये जाने, काले रंग की लंका, चमगादड़ को रावण का वाहन बताए जाने, सुषेन वैद्य की जगह विभीषण की पत्नी को लक्ष्मण जी को संजीवनी देते हुए दिखाना, जैसे अन्य आपत्तिजनक संवाद व अन्य सभी तथ्यों को कोर्ट में रखा गया। अदालत ने कहा कि फिल्म में आपत्तिजनक कंटेंट मौजूद हैं।
याची का कहना था कि फ़ल्मि में श्रीराम कथा को पूरी तरह से विध्वंस करके दिखाया गया है और धर्म का उपहास किया गया है। कॉस्ट्यूम से लेकर संवाद तक और कहानी का कंटेंट सभी कुछ घोर आपत्तिजनक है। यह सनातन आस्था का जानबूझ कर किया जा रहा अपमान है। कहा इससे धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने के साथ लोगों की भावनाएँ भी आहत हुई हैं।
सुनवाई के समय केन्द्र सरकार सहित अन्य वकील भी उपस्थित हुए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

19 + one =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।