उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विगत छह वर्षों में यूपी ने बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई है। 2017 के पहले बदहाली से जो स्कूल बंदी की कगार पर थे, आज उनका कायाकल्प हो चुका है। दृढ़ संकल्प, संसाधन, तकनीकी, नवाचार के समन्वय से शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कार का सपना साकार हुआ है। तकनीकी के बेहतर उपयोग वाला ‘निपुण भारत मिशन’, शिक्षा की गुणवत्ता सुदृढ़ करने में शानदार परिणाम दे रहा है।
संपर्क फाउंडेशन की पत्रिका का भी विमोचन किया
मुख्यमंत्री योगी मंगलवार को बेसिक शिक्षा विभाग एवं संपर्क फाउंडेशन की पहल पर ‘संपर्क स्मार्टशाला-स्मार्ट ब्लॉक’ कार्यक्रम का शुभारंभ कर रहे थे। इस कार्यक्रम के माध्यम से नगर क्षेत्र के 58 व चरगांवा ब्लॉक के 68 परिषदीय स्कूलों को एलईडी टीवी, गणित व अंग्रेजी किट से आच्छादित किया गया। मुख्यमंत्री ने पांच स्कूलों के शिक्षकों को खुद अपने हाथ से टीएलएम किट प्रदान किया। साथ ही संपर्क फाउंडेशन की पत्रिका का भी विमोचन किया।
योगीराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि शिक्षा समाज की नींव है और जब नींव दरक जाएगी तो समाज रूपी भवन कैसे बनेगा। 2017 के पूर्व बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शौचालय, फ्लोरिंग, पेयजल तक की सुविधा नहीं थी। लगभग 1.56 लाख स्कूलों में 1.34 करोड़ बच्चे जाते थे। शिक्षकों की भारी कमी थी।
स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 1.91 करोड़
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने दशा सुधारने का संकल्प लिया और बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में पारदर्शी तरीके से 1.65 लाख शिक्षकों की भर्ती की। कोई स्कूल जर्जर न रहे, उनमें फर्नीचर, शौचालय, पेयजल, स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी और डिजिटल लाइब्रेरी हो, इसके लिए मिशन कायाकल्प शुरू किया। आज 1.36 लाख स्कूलों का कायाकल्प हो चुका है। स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 1.91 करोड़ हो चुकी है।
योगी ने कहा कि पहले बेसिक स्कूलों के बच्चे नंगे पांव जाते थे, उनके पास यूनिफॉर्म नहीं था। आज सरकार उन्हें सभी सुविधाएं दे रही है। उन्हें दो यूनिफॉर्म, जाड़े में स्वेटर, जूते, बैग दिए जा रहे हैं। अब तो इस सुविधा के लिए रकम उनके अभिभावकों के खातों में डीबीटी से भेजी जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 2017 में वह एमएलसी बने तो अपनी पूरी निधि गोरखपुर नगरीय क्षेत्र के बेसिक स्कूलों में फर्नीचर और शौचालय बनवाने के लिए दे दी। वर्तमान में जीडीए और नगर निगम भी स्कूलों को स्मार्ट बनाने का प्रयास कर रहे हैं। जनप्रतिनिधियों को भी चाहिए कि वे अपने क्षेत्र के स्कूलों में जाएं और वहां के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं कराएं।