ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे को लेकर समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था, अगर एएसआई सर्वे हो रहा है तो सिर्फ ज्ञानवापी मस्जिद का नहीं, बल्कि सभी हिंदू धार्मिक स्थलों की भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकांश हिंदू धार्मिक स्थल, जो पहले बौद्ध मठ थे, उन्हें तोड़कर हिंदू तीर्थ स्थल बना दिया गया। जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पर आपत्ति जताई तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने पलटवार किया।
आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है। क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है? इसलिए तो हमने कहा था किसी की आस्था पर चोट न पहुँचे इसलिए 15 अगस्त 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। अन्यथा ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के…
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) July 28, 2023
स्वामी प्रसाद मौर्या ने ट्वीट करते हुए कहा कि, आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है। क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है? इसलिए तो हमने कहा था किसी की आस्था पर चोट न पहुँचे इसलिए 15 अगस्त 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। अन्यथा ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 8वीं शताब्दी तक बद्रीनाथ बौद्ध मठ था उसके बाद यह बद्रीनाथ धाम हिन्दू तीर्थ स्थल बनाया गया, यही सच है।