मुजफ्फरपुर दुष्कर्म: चिराग पासवान ने CM नीतीश को लिखा पत्र, दोषियों पर कार्रवाई की मांग - Punjab Kesari
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मुजफ्फरपुर दुष्कर्म: चिराग पासवान ने CM नीतीश को लिखा पत्र, दोषियों पर कार्रवाई की मांग

पासवान का नीतीश को पत्र, दुष्कर्म मामले में कठोर कार्रवाई की अपील…

चिराग पासवान ने मुजफ्फरपुर दुष्कर्म मामले में सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने घटना को कानून व्यवस्था की विफलता और मानवता के विरुद्ध अपराध बताया। पासवान ने बलात्कारियों की गिरफ्तारी, अस्पताल प्रशासन की जांच और दोषी कर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मुजफ्फरपुर दुष्कर्म मामले को लेकर लोजपा (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बुधवार को बिहार के सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि यह घटना न केवल एक मासूम जीवन की बर्बर हत्या है, बल्कि हमारे राज्य की कानून व्यवस्था, सामाजिक चेतना और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की गहन विफलता को भी उजागर करती है।

उन्होंने पत्र में लिखा, पीड़िता ने छह दिनों तक जीवन के लिए संघर्ष किया, किंतु एक जून को पीएमसीएच में उसने दम तोड़ दिया। दुर्भाग्यवश, बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए लगातार छह घंटे तक उसे एम्बुलेंस में ही तड़पते हुए इंतज़ार करवाया गया। उन्होंने पत्र में साफ लिखा है कि यह तथ्य अत्यंत पीड़ादायक है कि जिन दरिंदों ने उस मासूम बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया, वे जितने दोषी हैं, उतने ही दोषी पीएमसीएच अस्पताल के डॉक्टर और प्रशासनिक स्टाफ भी हैं, जिन्होंने बच्ची को बचाने के लिए जरूरी उपचार देने के बजाय उसे एंबुलेंस में ही छोड़ दिया और उसके इलाज में अमूल्य समय गंवा दिया। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि मानवता के विरुद्ध अपराध है।

उन्होंने आगे कहा है कि जब तक शासन और प्रशासन दोनों स्तरों पर इस घटना से जुड़े हर दोषी पर सख्त और पारदर्शी कार्रवाई नहीं होती, तब तक न्याय अधूरा और अस्वीकार्य रहेगा। केंद्रीय मंत्री ने पत्र के जरिए इस जघन्य अपराध में शामिल सभी बलात्कारियों को शीघ्र गिरफ्तार कर उन्हें कठोरतम दंड देने, पीएमसीएच अस्पताल प्रशासन, डॉक्टरों और स्टाफ की भूमिका की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कराने तथा इलाज में जानबूझकर देरी और अमानवीयता दिखाने वाले कर्मियों के विरुद्ध आपराधिक मुकदमा दर्ज कर तुरंत सेवा से निलंबन एवं कठोर विभागीय कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने पत्र के अंत में यह भी कहा कि यदि इस पर भी शासन मौन रहा, तो यह मौन ही सबसे बड़ा अपराध बन जाएगा। इस कारण अपेक्षा है कि इस मामले में त्वरित, निर्णायक और उदाहरण स्थापित करने वाली कार्रवाई की जाएगी।

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