यूपी के जाने माना माना अतीक अहमद वो नाम है जिसने यूपी में गुंडागर्दी करके न जाने कितने लोगों का मर्डर किया। और उसके मर्डर करने का सिलसिला अभी भी जारी है पिछले दिनों सबने देखा की राजू पाल के गवाह को गोली से भूनकर उसका सरेआम मर्डर करा दिया। ये वही गवाह था जिसकी सुनवाई के बाद अतीक अहमद को कड़ी सजा के लिए कोर्ट को सुनवाई करनी थी लेकिन अतीक अहमद ने अपने गुर्गों की मदद से गवाह उमेश पाल का मर्डर करा दिया। बहुत कम लोगों को पता होगा की अतीक अहमद के खिलाफ पिछले 43 सालों में 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज है लेकिन किसी मामले में सजा उसे सजा नहीं हो पाई है।
राजनीतिक संरक्षण से बचता रहा अतीक अहमद
बाताया जाता है कि राजनीतिक संरक्षण और बाहुबल की वजह से हमेशा ही अतीक सजा पाने से बचते आये है।अतीक पर आरोप है कि कभी गवाहों को डरा धमका कर तो कभी उन्हें ठिकाने लगवा कर वो अपना दबदबा बनाए रखता था।
अतीक के डर से गवाह मुकर जाते थे
आपको बता दें अतीक के अपराध की कहानी 1979 से शुरु होती है। इस साल से ही अतीक अहमद ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उसके खिलाफ हत्या, डकैती, अवैध वसूली, अपहरण, जानलेवा हमला, गैंगस्टर, गुंडा एक्ट जैसे गंभीर अपराधिक मुकदमों की संख्या बढ़ती चली गई। डकैती के दौरान हत्या, एससी एसटी एक्ट, बलवा, अवैध वसूली, गैंगस्टर एक्ट समेत गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमे साल 2001, 2003 और 2004 में सरकार ने वापस ले लिए। इसके अलावा 14 मामलों में गवाहों के मुकरने या साक्ष्य नहीं मिलने के चलते अतीक अहमद को दोषमुक्त कर दिया गया।
अतीक पर दर्ज कई मुकदमे वापस लिए गए थे
बताया जाता है कि अतीक को पुलिस का भी साथ मिला। 6 मुकदमों में तो पुलिस ने जांच के बाद फाइनल क्लोजिंग रिपोर्ट लगा दी। सीबीसीआईडी ने भी एक मामले की जांच में साल 1986 में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। 1992 के आर्म्स एक्ट के एक मामले में समय सीमा खत्म हो जाने के बाद भी पुलिस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई। जिसकी वजह से उसके खिलाफ मामला ही खत्म हो गया।
योगी सरकार आते ही अतीक पर कसा शिकंजा
इसके बाद योगी की सरकार आते ही अतीक पर शिकंजा कसना शुरु हुआ। योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद अतीक के खिलाफ 5 मामले दर्ज हुए। इन मुकदमों में अभी सुनवाई चल रही है। वहीं व्यापारी को अगवा कर उसकी कंपनी अपने नाम लिखवाने के मामले की जांच भी सीबीआई कर रही है। बता दें अतीक से जुड़े 25 मुकदमों में कोर्ट में हाजिरी हो रही है। अतीक के पूरे परिवीर पर भी मुकदमें दर्ज हो चुके है।
राजनीतिक संरक्षण से बचता रहा अतीक अहमद
बाताया जाता है कि राजनीतिक संरक्षण और बाहुबल की वजह से हमेशा ही अतीक सजा पाने से बचते आये है।अतीक पर आरोप है कि कभी गवाहों को डरा धमका कर तो कभी उन्हें ठिकाने लगवा कर वो अपना दबदबा बनाए रखता था।
अतीक के डर से गवाह मुकर जाते थे
आपको बता दें अतीक के अपराध की कहानी 1979 से शुरु होती है। इस साल से ही अतीक अहमद ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उसके खिलाफ हत्या, डकैती, अवैध वसूली, अपहरण, जानलेवा हमला, गैंगस्टर, गुंडा एक्ट जैसे गंभीर अपराधिक मुकदमों की संख्या बढ़ती चली गई। डकैती के दौरान हत्या, एससी एसटी एक्ट, बलवा, अवैध वसूली, गैंगस्टर एक्ट समेत गंभीर धाराओं में दर्ज मुकदमे साल 2001, 2003 और 2004 में सरकार ने वापस ले लिए। इसके अलावा 14 मामलों में गवाहों के मुकरने या साक्ष्य नहीं मिलने के चलते अतीक अहमद को दोषमुक्त कर दिया गया।
अतीक पर दर्ज कई मुकदमे वापस लिए गए थे
बताया जाता है कि अतीक को पुलिस का भी साथ मिला। 6 मुकदमों में तो पुलिस ने जांच के बाद फाइनल क्लोजिंग रिपोर्ट लगा दी। सीबीसीआईडी ने भी एक मामले की जांच में साल 1986 में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। 1992 के आर्म्स एक्ट के एक मामले में समय सीमा खत्म हो जाने के बाद भी पुलिस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई। जिसकी वजह से उसके खिलाफ मामला ही खत्म हो गया।
योगी सरकार आते ही अतीक पर कसा शिकंजा
इसके बाद योगी की सरकार आते ही अतीक पर शिकंजा कसना शुरु हुआ। योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद अतीक के खिलाफ 5 मामले दर्ज हुए। इन मुकदमों में अभी सुनवाई चल रही है। वहीं व्यापारी को अगवा कर उसकी कंपनी अपने नाम लिखवाने के मामले की जांच भी सीबीआई कर रही है। बता दें अतीक से जुड़े 25 मुकदमों में कोर्ट में हाजिरी हो रही है। अतीक के पूरे परिवीर पर भी मुकदमें दर्ज हो चुके है।