उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव के नतीजों ने सभी सियासी दलों को विचार विमर्श करने पर मजबूर कर दिया हैं। साथ ही इसके परिणाम ने प्रदेश में बड़े उलटफेर होने की संभावना बढ़ा दी हैं। दरअसल समाजवादी पार्टी (सपा) के गढ़ रामपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार ने जीत हासिल की। रामपुर मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं। जिसका नेतृत्व लंबे समय से सपा के दिग्गज नेता आजम खान करते रहे हैं।
इसी परिणाम पर बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मैनपुरी में सपा की जीत और रामपुर में हार, भाजपा और सपा की आंतरिक मिलीभगत का नतीजा है। बसपा सुप्रीमो ने यह भी कहा कि इस बारे में मुस्लिम समुदाय को गहन चिन्तन करने की जरूरत है ताकि आगामी चुनावों में धोका खाने से बचा जा सके।
2. इस बारे में ख़ासकर मुस्लिम समाज को काफी चिन्तन करने व समझने की भी ज़रूरत है ताकि आगे होने वाले चुनावों में धोखा खाने से बचा जा सके। खतौली विधानसभा की सीट पर भाजपा की हुई हार को भी लेकर वहाँ काफी सन्देह बना हुआ है, यह भी सोचने की बात है।
— Mayawati (@Mayawati) December 11, 2022
बसपा के वोट बैंक में सेंध
आपको बता दें कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव ने भारी मतों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य को हराया है। वहीं खतौली विधानसभा सीट से रालोद उम्मीदवार मदन भैया ने भाजपा की प्रत्याशी राजकुमारी सैनी को 22000 वोटों से हराया और रामपुर विधानसभा सीट से भाजपा के आकाश सक्सेना ने सपा के आसिम रजा को 34000 मतों के भारी अंतर से पटकनी दी। इन नतीजों से सूबे की सियासत में हलचल बढ़ गई है। तमाम दल 2024 की तैयारियों में जुट गए है। माना जा रहा है कि सपा गठबंधन ने दलित समुदाय के एक बड़े तबके को अपने पाले में कर लिया है। जिसे बसपा का वोट बैंक माना जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को मुस्लिम समुदाय का सहयोग नहीं मिला था। जिसके कारण ही पार्टी मात्र एक सीट पर सिमट गई।