गाजियाबाद: हिंडन नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने की मुहिम, गंदे नालों से मिलेगी मुक्ति - Punjab Kesari
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गाजियाबाद: हिंडन नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने की मुहिम, गंदे नालों से मिलेगी मुक्ति

हिंडन नदी को प्रदूषण मुक्त करने की ठोस योजना…

गाजियाबाद जिला प्रशासन ने हिंडन नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की है। गंदे नालों से नदी को मुक्त करने के प्रयास से पर्यावरण और ग्रामीणों को लाभ मिलेगा। सीडीओ अभिनव गोपाल ने बताया कि 13 गांवों में आधुनिक तकनीकों से पानी की सफाई की जाएगी।

जिला प्रशासन ने हिंडन नदी को स्वच्छ बनाने के लिए एक ठोस कार्ययोजना तैयार की है। शुक्रवार को गाजियाबाद के सीडीओ अभिनव गोपाल ने बताया कि गंदे नालों से मुक्त और स्वच्छ जल की ओर बढ़ते इस कदम से न केवल पर्यावरण को राहत मिलेगी, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों को भी साफ-सुथरे माहौल का लाभ मिलेगा। सीडीओ अभिनव गोपाल ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि गाजियाबाद जिले की जीवनरेखा मानी जाने वाली हिंडन नदी को स्वच्छ बनाने के लिए अब जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। एक नई कार्ययोजना के तहत उन 13 गांवों की पहचान की गई है, जहां से गंदा पानी सीधा नदी में गिरता है।

उन्होंने बताया कि मुरादनगर ब्लॉक के सुराना, सुठारी, भदौली, कुन्हैड़ा, रेवड़ी, रेवड़ा, खोराजपुर, मतौर, नेकपुर, साबितनगर गांव से लोनी ब्लॉक के असालतनगर, फर्रुखनगर, भनैड़ा खुर्द, सिरोरा, सलेमपुर, मुर्तजा, भूपखेड़ी और रजापुर ब्लॉक के मकरेड़ा, महमूदाबाद गांव के पास के स्थल को चिन्हित किया गया है। इन गांवों से दूषित पानी हिंडन नदी में बहाया जाता है। हरनंदी नदी को दूषित होने से रोकने के लिए 13 गांवों में ग्राम पंचायत के बजट से कार्य किया जाएगा।

अभिनव गोपाल ने कहा, इन गांवों में अब आधुनिक तकनीकों की मदद से तीन चरणों में पानी की सफाई की जाएगी। इसके लिए गांवों में फिल्टर चैंबर, सिल्ट कैचर और फाइटो रेमेडिएशन सिस्टम बनाए जाएंगे। जैविक तरीके से सफाई के उपकरणों के जरिए नाले के पानी से कीचड़ और ठोस कचरा निकाला जाएगा और फिर पौधों के जरिए पानी की जैविक सफाई की जाएगी।

सीडीओ ने बताया, हर गांव में एक निगरानी समिति भी गठित की जाएगी, जो इन संरचनाओं की नियमित जांच और सफाई का काम देखेगी। प्रशासन की योजना के अनुसार, हर गांव में लगभग 75,000 रुपए खर्च कर साफ-सफाई के उपकरण लगाए जाएंगे। मुरादनगर क्षेत्र के एक गांव सुराना निवासी मूल चंद ने बताया कि पहले हिंडन का स्वरूप कुछ और था। नदी साफ-सुथरी थी। लोग और जीव-जंतु इसका पानी पिया करते थे, लेकिन समय के साथ अब हिंडन का पानी दूषित हो चुका है।

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