गौतमबुद्धनगर पुलिस ने बाल मजदूरी के खिलाफ बड़ा अभियान चलाकर 668 बच्चों को रेस्क्यू किया। पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के निर्देशन में, होटल और ढाबों से 165 बच्चे और अन्य स्थानों से 502 बच्चों को मुक्त कराया गया। पुलिस ने उनके पुनर्वास के लिए कदम उठाए हैं, जिससे वे शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त कर सकें।
पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर बाल मजदूरी के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई कर रही है। पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के निर्देशन और डीसीपी महिला सुरक्षा के पर्यवेक्षण में जिले में लगातार ऐसे मामलों पर निगरानी रखी जा रही है। इसी अभियान के तहत 1 जनवरी 2023 से 30 अप्रैल 2024 के बीच कुल 668 नाबालिग बच्चों का रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित रूप से उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया है।
पुलिस की सतर्कता के चलते होटल, ढाबा और अन्य व्यावसायिक स्थलों पर मजदूरी में लगे बच्चों की पहचान की गई। चिन्हित स्थानों पर विशेष अभियान चलाकर जबरन बाल श्रम में लगाए गए बच्चों को मुक्त कराया गया। इनमें 165 बच्चे होटल और ढाबों से, जबकि 502 बच्चे अन्य स्थानों से रेस्क्यू किए गए। एक विशेष घटना में, 11 नवंबर 2024 को थाना सेक्टर-142 क्षेत्र की एक सोसायटी में एक फ्लैट के अंदर नाबालिग बच्ची से जबरन घरेलू कार्य कराए जाने की सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए स्थानीय पुलिस टीम ने छापा मारकर बच्ची को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया था।
फ्लैट मालिक और उसकी पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की गई। पुलिस ने न सिर्फ बच्चों को छुड़ाया, बल्कि उनके पुनर्वास के लिए भी कदम उठाए हैं। कई सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से इन बच्चों को शिक्षा, चिकित्सा और अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उनके परिजनों को चेतावनी दी गई है कि भविष्य में यदि बच्चों से मजदूरी कराई गई, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, पुलिस टीम समय-समय पर रेस्क्यू किए गए बच्चों की काउंसलिंग भी कर रही है।
कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर को बाल मजदूरी मुक्त बनाने की दिशा में पुलिस लगातार झुग्गी बस्तियों और संवेदनशील क्षेत्रों में जाकर लोगों को जागरूक कर रही है। अभिभावकों से अपील की जा रही है कि वे अपने बच्चों को मजदूरी की बजाय शिक्षा दिलाएं, जिससे वे समाज की मुख्यधारा से जुड़कर एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।
डोभाल का US, Japan समेत कई देशों के NSA से ऑपरेशन सिंदूर पर संवाद