हरिद्वार, संजय चौहान (पंजाब केसरी) : हरिद्वार शहर से निकलकर उत्तर प्रदेश जा रही उत्तरी खंड गंगनहर को मरम्मतीकरण के लिए हर साल बंद किया जाता है। दशहरा पर्व पर गंगनहर को बंद कर दिया गया था। जिसके बाद कल कल बहती जीवन दायिनी विश्व प्रसिद्ध गंगा वर्षों से सरकार की नाकामियों के चलते अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाती नजर आ रही है। हर वर्ष गंगा बन्दी के बाद गंगा में गिरने वाले सीवर युक्त नाले और लोगों द्वारा फैलाने वाली बेतहाशा कूड़े व कपड़े सहित फूल इत्याति के रूप में फैलाई जाने वाली भारी गन्दगी की सच्चाई देखने के बावजूद भी केंद्र सहित यूपी व उत्तराखण्ड की सरकारें आजतक गंगा की स्वच्छता व निर्मलता के लिए कोई ठोस स्थायी कदम नहीं उठा पायी जिसके चलते गंगा अपने बुरे दिनों की ओर बढ़ती हुई अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने के कुछ नहीं कर पा रही है। हां गंगा को अब सिर्फ भागीरथ का ही इंतज़ार है, जो शायद उसे ऐसी दुर्दशा से निजात दिला सके।
उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की ओर से गंगनहर की सालाना बंदी से हरकी पैड़ी पर आचमन लायक भी गंगाजल नहीं रहा है। जिससे अब वहां पानी की जगह पत्थर दिख रहे हैं। इससे गंगा स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु परेशान हो रहे हैं।
हरिद्वार शहर से निकलकर उत्तर प्रदेश जा रही उत्तरी खंड गंगनहर को मरम्मतीकरण के लिए हर साल बंद किया जाता है। दशहरा पर्व पर गंगनहर को बंद कर दिया गया। जिससे हरकी पैड़ी पर पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई है। गंगाजल नहीं आने से हरकी पैड़ी पर पत्थर दिखाई दे रहे हैं। लोग श्रद्धालुओं की ओर से डाले गए पैसे और अन्य सामान खोज रहे हैं।
उधर, गंगनहर बंदी से हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें गंगा स्नान के लिए अन्य स्थानों जैसे नमामि गंगे घाट पर जाना पड़ रहा है। तब जाकर वह गंगा स्नान कर पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अवर अभियंता उमेश शर्मा ने बताया कि गंगनहर को अब दीपावली की रात में चालू किया जाएगा। जिससे श्रद्धालु फिर से भरपूर गंगाजल में स्नान कर सकेंगे