बुन्देलखंड में पेयजल की समस्या के निदान के लिये केन्द्र और राज्य सरकार की तमाम कवायद को अफसरों की अदूरदर्शिता पलीता लगा रही है। हमीरपुर जिले में 270 ऐसे तालाब प्रशासन ने चिंहित किये है जहां पर तालाब में पानी भराये जाने का कोई रास्ता नही बनाया गया है लिहाजा प्रचंड गर्मी के बीच हजारों मवेशी एक एक बूंद पानी के लिये भटकने को मजबूर है। सैकड़ बेजुबान प्यास से दम तोड़ चुके है।
जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) डा.डी पी तिवारी ने शनिवार को बताया कि जिले में तालाबों की कुल संख्या 1428 है जिसमें कुरारा ब्लाक में 154, सुमेरपुर ब्लाक में 241, मौदहा ब्लाक में 228, मुस्करा ब्लाक में 169, राठ ब्लाक में 181, गोहांड ब्लाक में 216, सरीला ब्लाक में 239 तालाबों की संख्या है।
मवेशियो को पानी उपलब्ध कराने के लिये 735 तालाब भरा दिये गये है हालांकि अभी भी 693 तालाब खाली पड़ हुये है। जिले में 270 ऐसे तालाब है जिसमे पानी भराये जाने के लिये कोई रास्ता नही बनाया गया है, इनमें मनरेगा योजना के ज्यादातर तालाब शामिल है।
मनरेगा से खुदवाये गये तालाबों में पहले से ही पानी आने का रास्ता साफ होने के बाद ही तालाब के खुदवाये जाने की अनुमति दी जाती है मगर जिले में पिछले साल में मनरेगा योजना के तहत ग्राम प्रधानो और सचिवो ने मिलकर मानकविहीन तालाब खुदवा दिये है जिसमें 270 तालाबों में आज भी धूल उड़ती रहती है।
उत्तर प्रदेश हमीरपुर पेयजल दो अंतिम हमीरपुर डीपीआरओ ने बताया कि सबसे ज्यादा खराब हालत सरीला ब्लाक की है यहां पर 99 ऐसे तालाब है जो वर्ष भर खाली पड़ रहते है इसी प्रकार कुरारा ब्लाक में 27, सुमेरपुर ब्लाक में 20, मौदहा ब्लाक में 26, मुस्करा ब्लाक में 60, राठ ब्लाक में 27, गोहांड ब्लाक में 11 तालाबोमिं पानी भरे जाने का कोई रास्ता नही बनाया गया है। इन गांवों के हजारों पशु पक्षी एक एक बूंद पानी के लिये इधर उधर भटकते रहते है।
सैकड़ की तादाद में अन्ना पशु पानी के अभाव में दम तोड़ चुके है। तालाब खुदवाये जाने के नाम पर करोड़ रुपये ठिकाने लगाये जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किये जाने की मांग कई मर्तवा ग्रामीणों ने उठायी मगर आज तक किसी ने नही सुनी है। ये तालाब करोंड़ रुपये की लागत से खुदवाये गये थे मगर उनका कोई प्रयोग नही किया जा रहा है जबकि तालाब खुदवाने का उद्देश्य वाटर रिचार्जिंग करना था मगर सब बेमकसद साबित हो रहा है।
सरकार के सख्त आदेश है कि बुन्देलखंड में सभी तालाब पोखर गड्ढे भर दिये जाये ताकि पशु और मानव को कोई परेशानी न होने पाये मगर 270 तालाबों के अलावा 445 तालाब ऐसे है जिनमें पानी भरने का रास्ता होने के बाद भी खाली पड़ है।
इस बारे में ग्राम प्रधानों का कहना है कि राजकीय नलकूप ज्यादातर खराब पडे हुये है जिससे पानी की समस्या आ रही है। नलकूप विभाग के अधिशासी अभियंता इस ओर कोई ध्यान नही दे रहे है जबकि सरकार ने विभाग के इस मद में अलग से बजट आवंटित किया है। नलकूप के अधिसाशी अभियंता यूएन सिंह एक माह से दफ्तर में नही बैठ रहे है।
सप्ताह मे एकाध दिन अपने आवास में बैठकर सरकारी काम काज निपटाने के बाद इधर उधर घूमते रहते है जिससे किसान व ग्रामीण निराश होकर चले जाते है। मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आरके सिंह का कहना है कि धीरे धीरे तालाब भराये जा रहे है।
वही जिले का पारा 47 या 48 डिग्री पार कर जाता है जिससे पशु पक्षी पानी के अभाव में मर रहे है। ग्राम प्रधानों का कहना है कि तालाब न भराये जाने की सूचना वह खंड विकास अधिकारियों को दे चुके है मगर उसका कोई असर नही हो रहा है इस समय गांवों में बीस घंटे विजली की आपूर्ति की जा रही है मगर सरकारी नलकूप खराब होने के कारण तालाबों में पानी नही भरा जा रहा है।