Bharat Jodo Nyay Yatra: Rahul Gandhi की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पहुंची Varanasi
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Rahul Gandhi की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पहुंची Varanasi, बाबा विश्वनाथ का लिया आशीर्वाद

Rahul Gandhi

कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी में पहुंच चुकी है। बता दें यूपी में राहुल गांधी की यात्रा का आज दूसरा दिन है। यात्रा को शुरू हुए 35 दिन हो चुके हैं। राहुल गांधी ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में चौथी बार हाजिरी लगाई। गोदौलिया से रथयात्रा रूट पर पहली बार कोई कांग्रेस नेता राजनीतिक यात्रा करेगा। पं. जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी समेत किसी भी नेता ने बनारस में इस रूट पर कोई राजनीतिक यात्रा नहीं की है।

  • Rahul Gandhi की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पहुंची Varanasi
  • देश में नफरत और डर का माहौल
  • राहुल गांधी ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में चौथी बार हाजिरी लगाई

देश को एक साथ लाना ही देश के प्रति सच्ची भक्ति- Rahul Gandhi

आपको बता दें वाराणसी में अपनी न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान मैंने कभी नफरत नहीं देखी। यहां तक कि भाजपा और आरएसएस के लोग भी यात्रा में आए। जैसे ही हमारे पास आए। उन्होंने हमसे अच्छे से बात की। यह देश तभी मजबूत होता है। जब हम साथ मिलकर काम करते हैं। देश को एक साथ लाना ही देश के प्रति सच्ची भक्ति है। उन्होंने कहा कि इस वक्त देश में नफरत और डर का माहौल है।

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इंदिरा गांधी ने भी बनारस की राजनीतिक और धार्मिक यात्राएं की

बता दें देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का बनारस से गहरा लगाव था। पं. नेहरू ने तो 1910 से 1950 तक बनारस की कई यात्राएं कीं। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उनका बनारस आना जाना लगा रहता था। वहीं इंदिरा गांधी ने भी बनारस की राजनीतिक और धार्मिक यात्राएं की थीं।राहुल गांधी के परनाना पं. जवाहर लाल नेहरू पहली बार 1910 में अपने पिता पं. मोतीलाल नेहरू के साथ बनारस आए थे। इसके बाद 1921 में काशी विद्यापीठ के स्थापना समारोह में पहुंचे थे। इसके बाद 1942 और 1946 में वह बनारस पहुंचे थे।

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बरसात भरी सर्द बावजूद के बाद भी जनता उनके इंतजार में डटी रही

दरअसल, राहुल की दादी व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1980 के चुनाव की बनारस यात्रा ऐतिहासिक थी। प्रो. सतीश कुमार राय ने बताया कि 31 दिसंबर 1979 की शाम आठ बजे उनकी सभा निर्धारित थी। वह 14 घंटे की देरी से एक जनवरी 1980 को सुबह 10 बजे पहुंचीं। बरसात भरी सर्द बावजूद के बाद भी जनता उनके इंतजार में डटी रही।

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