सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार से गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की मौत और इससे पहले की घटनाओं के संबंध में उठाए गए कदमों का उल्लेख करते हुए एक हलफनामा दायर करने को कहा।
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश से यह भी पूछा कि अतीक और अशरफ को ले जा रहे वाहन को सीधे अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया और उनकी परेड क्यों कराई गई। जस्टिस एस रवींद्र भट और दीपांकर दत्ता की पीठ ने यूपी सरकार से एक हलफनामा दायर करने को कहा और मामले को तीन सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की थी
पुलिस की उपस्थिति में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग वाली याचिका पर अदालत सुनवाई कर रही थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि यूपी सरकार अपने हलफनामे में न्यायमूर्ति चौहान की रिपोर्ट के अनुसरण में उठाए गए कदमों का भी उल्लेख करेगी और अतीक और उसके भाई की हत्या से ठीक पहले की घटना के संबंध में उठाए गए कदमों का खुलासा करेगी।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस की मौजूदगी में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की थी।
वादी द्वारा कैविएट आवेदन यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया जाता है कि बिना सुने उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित न किया जाए। इस मामले में याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी ने पुलिस की मौजूदगी में अतीक और अशरफ की हत्या की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की है।