ज्ञानवापी के हर कोने की कर रही है ASI की टीम जांच, जानिये अब तक क्या-क्या मिला? - Punjab Kesari
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ज्ञानवापी के हर कोने की कर रही है ASI की टीम जांच, जानिये अब तक क्या-क्या मिला?

ज्ञानवापी मामला पिछले कई सालों से अब तक सुलझ नहीं पाया है। हर साल ये मामला उभरकर आता

ज्ञानवापी मामला पिछले कई सालों से अब तक सुलझ नहीं पाया है। हर साल ये मामला उभरकर आता है, लेकिन कभी भी इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकलता। लेकिन इस साल इस मामले में कई नए-नए मोड़ देखने को मिले। जहां एक तरफ इलाहाबाद कोर्ट में सुनवाई हुई तो वहीं दूसरी ओर ज्ञानवापी परिसर के जांच पड़ताल का कार्य भी ज़ोरो शोरों से चल रहा है। जी हां इस वक्त ज्ञानवापी का पूरा परिसरी एएसआई की टीम को सौंपा गया है। जिसमें वो मस्जिद के हर कोने की जांच बड़ी ही बारीकी से कर रहे हैं। यहीं बल्कि कुछ ऐसे सुराग भी खोज रहे हैं जो मस्जिद विवाद के विपक्ष में जाता है। वाराणसी में स्तिथ ज्ञानवापी मस्जिद के जांच पड़ताल का आज 7वां दिन है। इसके 6 दिनों तक एएसआई टीम ने कई सबूतों को संग्रह करके रख लिया है। बता दें की पूरे एएसआई टीम को डॉक्टर आलोक त्रिपाठी लीड कर रहे हैं। जिन्होंने बीते सालों कई उपलब्धियों को हासिल किया। 
कानपुर से आई IIT की टीम
आज मस्जिद के बाहरी हिस्सों जैसे गुंबद से लेकर तहखानों तक की जांच पड़ताल जारी है। आज के दिन ही कानपुर से IIT की टीम ज्ञानवापी मस्जित पहुंचेंगे। बीते दिनों ASI के मेंबर्स ने मस्जिद के ऊपर चढ़कर गुंबद की जांच पड़ताल की थी। एएसआई की पूरी टीम आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। 3डी मैपिंग, स्कैनिंग, हाईटेक फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के जरिए कई पुख्ता सबूत जुटाए गए हैं। और इसी चलते आईआईटी टीम को कानपुर से बुलाया गया है। ताकि जमीन को बिना खोदे ही उसके अंदर की चीजों का पता लगाया जा सके। बता दें की ज्ञानवापी की दीवारों पर अंकित निशान को सबूत के तौर पर जमा कर लिया गया है।  
अब तक क्या-क्या मिला ?
हिन्दू पक्ष ने ये दावा किया है की मस्जिद परिसर में कई मंदिरों से जुड़े अवशेष मिले हैं।  जहां दीवारों पर त्रिशूल, कमल, कलश और स्वास्तिक के निशान मिले।  लेकिन इसपर मुस्लिम पक्ष ने अपनी नाराज़गी व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने सर्वे को लेकर लीक होने वाली ख़बरों पर नाराज़गी जताया। अंजुमन इंतजामिया कमेटी के वकील का कहना है की जो त्रिशूल का निशान है वो उर्दू में अल्लाह लिखा हुआ है। स्वास्तिक और ओम  की बात करते हुए उन्होंने कहा की  मुगलकालीन सिक्कों पर भी  स्वास्तिक और ओम लिखा जाता था।  कमल को लेकर उन्होंने कहा की कमल एक फूल है जिसका मंदिर मस्जिद से कोई लेना देना नहीं है।  

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