समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के रहने वाले नही हैं, वह दूसरे प्रदेश से आये हैं लेकिन फिर भी यहां की जनता ने उन्हें स्वीकार किया है और प्रदेश की जनता को उन्हें धन्यवाद देना चाहिये।
अखिलेश ने शनिवार को यहां पत्रकार वार्ता में कहा, ‘‘मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के रहने वाले नही है, वह दूसरे प्रदेश से आये हैं लेकिन फिर भी यहां की जनता ने स्वीकार किया है और इसलिये उन्हें प्रदेश की जनता को धन्यवाद देना चाहिये।’’ सपा अध्यक्ष ने हालांकि, यह नहीं बताया कि किस संदर्भ में उन्होंने मुख्यमंत्री को बाहरी कहा है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके अखिलेश ने दावा किया कि प्रदेश की जनता मौजूदा भाजपा सरकार से परेशान हो चुकी है और अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने जा रही है।
अन्नदाताओं की खुशहाली दलालों को रास नहीं आ रही….’ संबंधी मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना करते हुये, अखिलेश ने कहा, ‘‘इतना बड़ा झूठ सदन में कोई बोल सकता है क्या, मैं उनसे जानना चाहता हूं कि उनकी सरकार कितने किसानों को धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवा पायी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मै उनसे जानना चाहता हूं कि क्या उनकी सरकार गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, संतकबीर नगर, बस्ती, गोंडा और फैजाबाद जिलों में किसानों को धान की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) दिलवा पायी है। पूरे प्रदेश में किस-किस किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया गया है।
हम जानना चाहते है कि धान की क्या कीमत दी है आपने।” गौरतलब है कि शुक्रवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘अन्नदाता किसान को धोखा देकर ‘दलाली’ करने वाले लोग आज जरूर इस बात को लेकर चिंतित हैं कि पैसा सीधे उनके (किसानों) खातों में क्यों जा रहा है।
आज तो पर्ची भी किसानों के स्मार्ट फोन पर प्राप्त हो रही है। घोषित ‘दलाली’ का जो जरिया था वह भी समाप्त हो गया है।” मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को सदन से बहिर्गमन कर रहे सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा था’ ये है वास्तविकता, ये है सच्चाई– ये सच्चाई इस बात को बताती है कि प्रतिपक्ष का हमारे अन्नदाता किसानों से कोई लेना देना नहीं है।’
अखिलेश ने दावा किया, ‘‘इस सरकार ने झूठ कहा कि गन्ना किसानों को सबसे अधिक भुगतान भाजपा सरकार में हुआ। उन्हें इसका सबूत देना चाहिए। इस सरकार ने अर्थव्यवस्था बर्बाद कर दी।
लोगों की नौकरियां चली गईं और ये तीनों कृषि कानून इसलिए लाए गए हैं कि कृषि पर भी कुछ उद्योग घरानों का नियंत्रण स्थापित हो जाए।’’