दिल अजीज निरहुआ का चुनावी रणक्षेत्र में सामना करेंगे अखिलेश - Punjab Kesari
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दिल अजीज निरहुआ का चुनावी रणक्षेत्र में सामना करेंगे अखिलेश

निरहुआ को राजनीति का कोई पूर्व अनुभव नहीं है। वह पिछले 15 वर्षों में समाजवादी पार्टी में बतौर

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव जिनके गानों को सुनकर अपनी थकान और पीड़ मिटाते हैं, आज वही चहेता गायक दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ उनके माथे पर सिलवटें लाने के चुनावी रणक्षेत्र में डट गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में पांच उम्मीदवारों की जो सूची जारी की, उसमें भोजपुरी फिल्मी दुनिया का जाना माना नाम निरहुआ का नाम भी शामिल है। राजनीति के क्षेत्र में नये नवेले भोजपुरी गायक सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मुकाबला करेंगे।

श्री यादव ने वर्ष 2012 में अपनी सरकार के कार्यकाल में निरहुआ को यश भारती से सम्मानित किया था। आत्रादी के बाद आजमगढ़ सीट पर चुनाव लड़ने वाले निरहुआ पांचवें ऐसे चेहरे होंगे जो जिले के बाहर के होंगे। गाजीपुर के निवासी निरहुआ को राजनीति का कोई पूर्व अनुभव नहीं है। वह पिछले 15 वर्षों में समाजवादी पार्टी में बतौर गायक अपने आपको कई बार मंचो पर प्रस्तुत कर चुके हैं।

आजमगढ़ में बाहरी जिलों के तीन उम्मीदवार ऐसे थे जो लोकसभा सीट पर निर्वाचित हो गए हालांकि एक को जनता ने वापस उनके गृहनगर भेज दिया। जो लोग यहां से चुने गये उन्होंने फिर दोबारा यहां की जनता से कोई सरोकार नहीं रखा। दो मौकों को छोड़ दिया जाए तो मुलायम सिंह यादव भी आजमगढ़ नहीं आए लेकिन जनता को संतोष सिर्फ इसी बात का रहा कि आजमगढ़ में विकास का कार्य निर्बाध गति से जारी रहा। पहली बार 1978 में हुये उपचुनाव में बाहरी उम्मीदवार मोहसिना किदवई को यहां के बाशिंदो ने सर माथे पर लिया।

उसके बाद अकबर अहमद डंपी 1998 और 2004 में सांसद निर्वाचित हुए। वैसे तो अकबर अहमद डंपी के पूर्वज आजमगढ़ के ही रहे हैं लेकिन डंपी का आजमगढ़ से कोई खास नाता नहीं रहा। वह भी केवल चुनाव के वक्त आए और फिर चले गए। वर्ष 2004 में भाजपा ने एक बार शाह मुहम्मद को भी अपना प्रत्याशी बनाया था जो बाहर के थे लेकिन उनको करारी हार का सामना करना पडा।

उस समय नवोदित पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार डॉक्टर कृष्ण मोहन त्रिपाठी से भी कम मत पाए और चौथे स्थान पर रहे। वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव यहां से सांसद चुने गए। इस बार 2019 के चुनाव में दोनो प्रमुख प्रतिद्वंदी सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी बाहर के जिले के हैं लेकिन वह पूर्व मुख्यमंत्री के साथ कद्दावर पार्टी के अध्यक्ष भी है। आजमगढ़ सीट पर इस महा मुकाबले में दो यादवों की टक्कर में जनता किसे पसंद करेगी यह तो आने वाली 12 मई का वक्त बताएगा।

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