अखिलेश का आरोप- भाजपा ने किसानों की कर दी दुर्गति, उनको धोखा देने का रचा गया स्वांग - Punjab Kesari
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अखिलेश का आरोप- भाजपा ने किसानों की कर दी दुर्गति, उनको धोखा देने का रचा गया स्वांग

अखिलेश यादव ने किसानों को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की

किसानों के मुद्दे को लेकर विपक्ष केंद्र और भाजपा सरकार पर लगातार हमलावर हैं। कृषि कानून को लेकर किसानों का प्रदर्शन जारी है। वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने किसानों को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की जैसी दुर्गति भाजपा सरकार के साढ़े चार सालों में हुई है वैसी पिछले पचास सालों में भी नहीं हुई थी।
गेहूं खरीद की तारीख बढ़ाकर किसानों को धोखा देने का स्वांग रचा गया
गेहूं खरीद की तारीख बढ़ाकर किसानों को धोखा देने का स्वांग रचा गया है। किसान को न फसल का दाम मिला है और नहीं मुआवजा मिला है, ऊपर से मंहगाई की मार ने उसकी कमर तोड़ दी है। सरकार श्वेत पत्र जारी करे ताकि किसानों से गेहूं खरीद की सच्चाई सामने आ सके। कागजों में गेहूं खरीद की तारीख बढ़ने की घोषणा तो हुई है जबकि हकीकत में खरीद बंद है।
सरकारी खरीद पोर्टल काम नहीं कर रहा है
सरकारी खरीद पोर्टल काम नहीं कर रहा है। किसान का खलिहान में रखा गेहूं भीगने से खराब हो रहा है तो कुछ क्रय केन्द्रों में खुले में पड़े गेहूं सड़ रहा है। वैसे बरसात के दिनों में तमाम क्रयकेन्द्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। किसान मायूस है। रामपुर में क्रय केन्द्रों पर किसान भटक रहे, गेहूं की तौल में आनाकानी हो रही है। रानीपुर में पोर्टल बंद होने से किसानों को तमाम परेशानी उठानी पड़ है। इटावा में क्रय केंद्र खरीद की तारीख बढ़ी लेकिन उपकेन्द्रों पर तौल बंद रही। प्रदेश में कहीं भी किसानों को एमएसपी पर गेहूं खरीद का लाभ नहीं मिला।
किसानों को आसानी से कर्ज भी नहीं मिलता है
भाजपा राज में किसानों को न तो लागत का ड्योढ़ मूल्य मिला, नहीं धान 1888, और गेहूं 1935 रूपये प्रतिकुंतल एमएसपी पर बिका। किसानों को राहत नहीं मिली उल्टे उसकी खेती में काम आने वाला डीजल मंहगा हो गया, बिजली की दरें बढ़ गईं। खाद की बोरी की कीमत तो बढ़ी परन्तु बोरी में खाद की मात्रा कम हो गई। किसानों को आसानी से कर्ज भी नहीं मिलता है।
किसानों से गेहूं की धीमी खरीदारी सरकारी इशारे पर की गई है ताकि वह अपना गेहूं बिचैलियों को बेचने को मजबूर हो
सच तो यह है कि किसानों से गेहूं की धीमी खरीदारी सरकारी इशारे पर की गई है ताकि वह अपना गेहूं बिचैलियों को बेचने को मजबूर हो। अधिकारी गुणवत्ता के नाम पर खरीद को नजरअंदाज कर रहे हैं। चमक और सिकुड़न के नाम पर गेहूं खरीदने से मना कर दिया गया है।

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