पिछले चंद्रयान मिशन के मुकाबले इसरो का ये मिशन क्यों रहा इतना कामयाब ? जाने पूरा इतिहास - Punjab Kesari
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पिछले चंद्रयान मिशन के मुकाबले इसरो का ये मिशन क्यों रहा इतना कामयाब ? जाने पूरा इतिहास

चंद्रयान-3 को लेकर देश में लोगों की आस्थाएं भी बढ़ती जा रही है। वैसे तो भारत सेर पहले

चाँद को हमेशा से हम धरती से ही देखते आये है, बचपन से लेकर मच्योर होने तक चाँद के बार में कहानियों  और किस्सों में ही सुना था।  कभी चाँद को देखकर अपनी खुशियां बयान करते तो कभी चाँद से जुड़े अन्य पात्रों में सुनते थे। जब बड़े हुए तो चाँद तक पहुँचने के लिए उपयोग में लाये गए सभी तकनीकों के बारें में किताबों में पढ़ना शुरू किया।  जब इसके बारे में और जांनने की कोशिश की तो कई लोगों से सुना की ये तो सिर्फ विदेशों में ही संभव है।  लेकिन कहाँ पता था की वो कहानी किस्सों की बाते असल ज़िन्दगी में भी देखने को मिलेगी, वो भी भारत में।  भारत की कहानी काफी पुरानी है जहां हर तथ्य के पीछे लोगों की आस्था छुपी हुई रहती है।  लेकिन अब आप सोच रहे होंगे की हम चाँद के बारे में इतनी बाते क्यों कर रहे हैं ? तो आपको बता दें सालों से देखा हुआ सपना अब सच होने वाला है जी हाँ भारत का झंडा अब सिर्फ धरती पर ही नहीं बल्कि चाँद की सतह पर भी लहरायेगी।  

चंद्रयान-3 को लेकर देश हो रही पूजा-पाठ

चंद्रयान-3 को लेकर देश में लोगों की आस्थाएं भी बढ़ती जा रही है।  वैसे तो भारत सेर पहले भी तीन देश ऐसे हैं जो चांद की सतह पर पहुँच चुके हैं।  लेकिन भारत पहला ऐसा देश होगा जो  चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।  अबकी बार का ये मिशन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि चाँद तक जाने के लिए भारत पहले 2 कोशिशें भी कर चूका है जिसमें वो पूरी तरह से फ़ैल रहा था।  चंद्रयान और चंद्रयान-2 इन दोनों में नाकामयाबी हासिल करने के बाद ही इस बार भारत कामयाबी के कदम छु रहा है।  चलिए जानते हैं कि चंद्रयान का इतिहास कितना पुराण है?

कैसे नाकमयाब हुआ चंद्रयान मिशन ?

22 अक्टूबर साल 2008 ये वो दिन था जब  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा चन्द्रमा तक पहुंचे के लिए पहला यान लांच किया गया था।  भारत का ये पहला अंतरिक्ष गहन मिशन था।  जिसने चन्द्रमा पर पानी के अणुओं की खोज में मुख्य भूमिका निभाई थी। ये 5 दिन बाद 27 अक्टूबर के दिन ही चाँद के पास पहुंचा था। लेकिन फिर साल 2019 में चंद्रयान 2 किया गया।  जिसके लिए ये आशंका जताई जा रही थी की ये सफलतापूर्वक चाँद की सतह पर उतर जाएगा, लेकिन विक्रम लैंडर की गति धीमी ही नहीं हुई।  साथ ही लैंडर से संपर्क टूटने की वजह सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी बताई भी गई थी।  जिसके कारण ये लैंड नहीं हो पाया।  जिसके बाद पुरे देश भर में दुख के बादल छा गए थे, इतना ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आँखे भी नम हो गयी थी।  
क्या है चंद्रयान-3 में अलग

चंद्रयान-2 से नाकामयाबी मिलने के बाद इसरो ने इस बार अपने नए मून मिशन चंद्रयान-3 के लिए नए नए तकनीकों का इस्तेमाल किया है।  ताकि किसी भी वजह से ये मिशन फ़ैल न हो।  बता दें कि चंद्रयान 2 से अलग, चंद्रयान 3 में रोवर नहीं है।  इस बार चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष यान स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ ही लेकर जाएगा।  जिसकी वजह से इसरो के वैज्ञानिकों का इससे संपर्क भी नहीं टूटेगा।  

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