अमेरिका में 9/11 पर हुए आतंकी हमलों की साजिश करने वालों को चुन -चुनकर मौत की नींद सुला रहा हैं। अल कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी के अमेरिका सेना द्वारा मारे जाने की पुष्टि खुद अमेरिका राष्ट्रपति ने टीवी संबोधन में की हैं। अल कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी के मारे जाने के बाद इस्लामिक आंतक की दुनिया को सबसे बड़ा झटका हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक टेलीविजन संबोधन में कहा, ‘‘न्याय हुआ और यह आतंकवादी मारा गया।’’ अमेरिका पर 9/11 को हुए हमलों की साजिश अल-जवाहिरी और ओसामा बिन-लादेन ने मिलकर रची थी। लेकिन अपने खूनी व इस्लामिक धार्मिक आतंक से दुनिया में खून बहाने वाले आतंकी संगठन का नेतृत्व कौन आतंकी करेंगा। सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो गया हैं।
कौन हैं सैफ -अल -आदेल
एक समाचार रिपोर्ट के मुताबिक अलकायदा में नंबर दो की पॉजिशन रखने वाले सैफ अल-आदेल को अलकायदा को मुखिया घोषित किया जा सकता हैं। सैफ अल-आदेल जवाहिरी का उत्तराधिकारी बनने की कतार में सबसे आगे खड़ा है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, आदेल मिस्र की सेना का पूर्व अधिकारी है। वह अल कायदा का संस्थापक सदस्य है। आदेल 1980 के दशक में अल कायदा के पूर्ववर्ती आतंकी समूह मकतब अल-खिदमत में शामिल हुआ था। इसी दौरान वह ओसामा बिन लादेन और अयमान अल-जवाहिरी से मिला। इनके साथ मिलकर आदेल उनके एक अन्य आतंकी समूह मिस्र इस्लामी जिहाद (ईआईजे) में शामिल हो गया। उसने 1980 के दशक में अफगानिस्तान में रूसी सेना से भी लड़ाई लड़ी थी। 2011 में ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद से, अल-अदेल अलकायदा के भीतर एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार बन गया।
ओसामा बिन -लादेन व अल जवाहिरी का सबसे करीब रहा चुका सैफ अल-आदेल
अमेरिका के आतंकी ऑपरेशन में ओसामा बिन लादेन के मरने के बाद अलकायदा की कमान अयमान अल-जवाहिरी को सौंपी गई थी। सैफ अल-आदेल ओसामा बिन लादेन का सुरक्षा कवच तैयार करता था , ताकि वह उस पर किसी भी प्रकार का हमला ना किया जा सके। अल-आदेल को लेकर अमेरिकी एजेंसी का कहना है कि उसे “अमेरिका के नागरिकों को मारने, हत्या करने” के चलते मोस्ट वांटेड की लिस्ट में रखा गया है। अल-आदेल भी भारी भरकम रकम का ईनाम रखा हैं। अल-आदेल ने फिलहाल ईरान में पनाह ले रखी हैं लेकिन वह वही अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहता हैं।
30 की उम्र में अमेरिकी नागरिकों को मारा, शवों को घसीटा
अल-अदेल जब 30 वर्ष का था, तभी उसने सोमालिया के मोगादिशु में 1993 के कुख्यात ‘ब्लैक हॉक डाउन’ ऑपरेशन को अंजाम दिया था। इस ऑपरेशन में18 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। इसके बाद सैनिकों के शवों को सड़क पर घसीटा गया था।