आज जब इंसान और उनकी स्पेस एजेंसी चांद पर जा रही हैं, लेकिन सौर मंडल में ऐसे कितने ग्रह हैं, जहां पर इंसान या उसका बनाया कोई सामान पहुंच चुका है। आइए जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन से ग्रह और चंद्रमा हैं, जहां पर इंसानों की पहुंच है… और कैसे? इसके साथ ही भारत का Chandrayaan-3 चांद की ऊपरी भाग पर 23 को उतरने वाला है, और ऐसा भी हो सकता है कि उससे पहले रूस का Luna-25 उतर जाए। लेकिन सवाल ये है कि चांद के अलावा इंसान या उसके हाथ से बनी कोई चीज, यंत्र, ऑर्बिटर, या इम्पैक्टर पहुंच चुका है। आइये जानते है किस ग्रह पर किस देश ने कितने मिशन भेजे आइए जानते हैं।
बुध ग्रह (Mercury)… मैसेंजर (Messenger) नाम का यह इकलौता मिशन अमेरिका ने भेजा था। 30 अप्रैल 2015 को यह बुध की ऊपरी भाग पर विचार करके गिराया गया था, मकसद था बुध की रसायनिक बनावट, प्राकृतिक भूगोल , मैग्नेटिक फील्ड की स्टडी करना। उसकी ऊपरी भाग, अंतरिक्ष के वातावरण, और रेंज के बारे में जानना। मैसेंजर स्पेसक्राफ्ट को अगस्त 2004 में डेल्टा-2 रॉकेट से लॉन्च किया गया था ओर इसने 10 साल आठ महीने 27 दिनों तक स्पेस में काम किया।
शुक्र ग्रह (Venus) … 1966 में रूस शुक्र ग्रह पर स्पेसक्राफ्ट भेजने का विचार किया। रूस ने 1985 तक कुल 14 मिशन शुक्र ग्रह पर भेजे, जिनका नाम था वेनेरा (Venera 3), वेनेरा लैंडर और वेगा लैंडर (Vega Lander), वेनेरा श्रेणी के कुल 12 स्पेसक्राफ्ट रूस ने शुक्र ग्रह पर भेजे. चार व्यर्थ हो गए, अंतरिक्ष में शुक्र ग्रह पर जाते समय उसके वायुमंडल के दबाव से खत्म हो गए। वेनेरा 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13 और 14 ने शुक्र ग्रह की ऊपरी भाग पर सॉफ्ट लैंडिंग की. 50 से 127 मिनट तक वहां से डेटा पृथ्वी पर भेजा और इसके बाद वो खत्म हो गए. फिर वेगा-1 और 2 भेजे गए. एक की लैंडिंग सफल रही. लेकिन डेटा नहीं भेज पाया. दूसरा सफल था। अमेरिका ने शुक्र ग्रह पर बस एक ही मिशन भेजा है। अमेरिका ने पायोनियर वीनस मल्टीप्रोब (Pioneer Venus Multiprobe) 1978 में भेजा. अद्भुत मिशन था. एक साथ चार स्पेसक्राफ्ट शुक्र ग्रह पर भेजे थे. दो ने तो ऊपरी भाग पर उतरने के बाद 2 से 67 मिनट तक सिग्नल भेजा और डेटा भेजा, दो ऊपरी भाग से टकराते ही सिग्नल मिस कर गए।
मंगल ग्रह (Mars) … मंगल ग्रह पर अमेरिका, रूस (सोवियत संघ, इंग्लैंड), चीन और यूरोपीय देश अपने-अपने मिशन भेज चुके हैं. सोवियत संघ ने मंगल ग्रह पर 1971 से 1974 के मध्य मे तीन स्पेसक्राफ्ट भेजे जिनका नाम मार्स 2 लैंडर, मार्स 3 लैंडर और मार्स 6 लैंडर था। 27 नवंबर 1971 को मार्स 2 लैंडर मंगल की ऊपरी भाग से टकराने वाला इंसानों द्वारा बनाया गया पहला सामान था, और इसी साल दिसंबर 2 को मार्स 3 लैंडर ने सॉफ्ट लैंडिंग करी और लैंडिंग के डेढ़ मिनट बाद ही पृथ्वी से संपर्क बना लिया, लेकिन अगले 14.5 सेकेंड में ऊपरी भाग की आधी फोटो ही भेज पाया, मार्स 6 लैंडर मंगल पर उतरते ही विफल हो गया।अमेरिका ने अब तक मंगल ग्रह पर 10 स्पेसक्राफ्ट भेजे हैं। 20 जुलाई 1976 से लेकर 18 फरवरी 2021 तक अमेरिका ने मंगल ग्रह पर कई सफलताएं हासिल की 1976 में वाइकिंग 1 लैंडर (Viking 1 lander) ने मंगल पर सॉफ्ट लैंडिंग की और पहली रंगीन तस्वीर भेजीष। 4 जुलाई 1997 कों मार्स पाथफाइंडर (Mars Pathfinder) लैंडर ने पहली बार एयरबैग के सहारे लैंडिंग की और पहली बार इसी लैंडर के साथ रोवर सोजर्नर (Sojourner) भेजा गया।दिसंबर 1999 में अमेरिका ने मार्स पोलर लैंडर भेजा था पर लैंडिंग से पहले ही उससे संपर्क टूट गया. 25 दिसंबर 2003 को इंग्लैंड ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर बीगल-3 (Beagle-2) स्पेसक्राफ्ट भेजा लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग विफल हो गई. 2004 से 2012 के बीच अमेरिका ने चार स्पेसक्राफ्ट मंगल पर भेजे और सभी सफल रहे। इसके बाद यूरोपियन स्पेस एजेंसी और रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने 19 अक्टूबर 2016 को एक्सोमार्स शियापरेली ईडीएम लैंडर (ExoMars Schiaparelli EDM lander) मंगल पर उतारने की कोशिश की लेकिन मंगल की कक्षा में जाने के बाद इससे संपर्क टूट गया और पैराशूट भी नहीं खुला, ऊपरी भाग से कड़ी टक्कर हुई। इसके बाद फिर अमेरिका ने 2018 और 2021 में इनसाइट (InSight) और मार्स पर्सिवरेंस रोवर (Mars Perseverance Rover) और इंजीनियूटी (Ingenuity) हेलिकॉप्टर भेजा दोनों ही मिशन सफल रहे और अब भी काम कर रहे हैं. चीन ने 2021 में ही तियानवेन-1 (Tianwen-1) लैंडर और झुरोंग रोवर (Zhurong Rover) भेजा जिसकी लैंडिंग भी सफल रही, और अब भी काम कर रहा है।
बृहस्पति ग्रह (Jupiter) … बृहस्पति ग्रह पर अब तक सिर्फ दो ही स्पेसक्राफ्ट मिशन भेजे गए हैं और दोनों ही अमेरिका ने भेजे हैं। पहला मिशन गैलीलियो एटमॉस्फियरिक प्रोब (Galileo atmospheric probe) 7 दिसंबर 1995 को बृहस्पति की ऊपरी भाग से टकाराया. यह बृहस्पति ग्रह के वातावरण की जांच के लिए गया था। इसके बाद अमेरिका ने 21 सितंबर 2003 को गैलीलियो स्पेसक्राफ्ट को बृहस्पति ग्रह पर गिराया. वह भी वातावरण पार नहीं कर पाया और खत्म हो गया. अमेरिका के दोनों असफल थे।
शनि ग्रह (Saturn) … कैसिनी ऑर्बिटर (Cassini Orbiter) नाम का स्पेसक्राफ्ट अमेरिका ने 15 सितंबर 2017 को शनि ग्रह पर पहुंचाया. कैसिनी ऑर्बिटर ने शनि ग्रह, उसके चांद और छल्लों के बारे में काफी अनेक ज्ञान दिया, लेकिन शनि और बृहस्पति ग्रह का ऊपरी भाग है या नहीं ये नहीं पता है, क्योंकि यह दोनों ग्रह गैसों से भरे हुए हैं। इस करण से कैसिनी और बृहस्पति पर जाने वाले स्पेसक्राफ्ट वातावरण में जाते ही नष्ट हो गए।