उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा- भारतीय संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के प्रतीक हैं आचार्य प्रभुपाद - Punjab Kesari
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उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा- भारतीय संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के प्रतीक हैं आचार्य प्रभुपाद

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद की जीवनी ‘सिंग, डांस एंड प्रे’ का

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने इस्कॉन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद की जीवनी ‘सिंग, डांस एंड प्रे’ का विमोचन कर करते हुए कहा है कि वह भारतीय संस्कृति‘वसुधैव कुटुंबकम के प्रतीक हैं। नायडू ने रविवार को उप राष्ट्रपति निवास पर आयोजित एक समारोह में इस पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक जाने माने इतिहासकार हिंडोल सेनगुप्ता ने लिखी है।
सिंग, डांस एंड प्रे’ – पुस्तक इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर 
श्री नायडू ने कहा कि भारतीय संस्कृति को दुनिया भर में फैलाने और इसका प्रचार-प्रसार करने में आचार्य प्रभुपाद का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि आचार्य परिवार प्रभुपाद ने विश्व को आध्यात्मिक शांति का मार्ग दिखाया। उन्होंने विश्व समुदाय को एक नए रूप में कृष्ण भक्ति से परिचित कराया। समारोह में इस्कॉन बेंगलुरु के अध्यक्ष एवं अक्षय पात्रा फाउंडेशन के संस्थापक मधु पंडित दास, इस्कॉन बेंगलुरु के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं अक्षय पात्रा फाउंडेशन के उपाध्यक्ष चंचलापति दास और अन्य गणमान्य व्यक्ति एवं मौजूद रहे। ‘सिंग, डांस एंड प्रे’ – पुस्तक इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के संस्थापक आचार्य आध्यात्मिक ए सी भक्तिवेदांता स्वामी प्रभुपाद की जीवनगाथा है जो पश्चिमी दुनिया में भारत की आध्यात्मिक संस्कृति एवं धरोहर के सबसे बड़ ध्वजवाहक रहे। उन्होंने पहली बार अपने प्रयास से ईश्वर के प्रति प्रेम एवं निष्ठा के वैदिक दर्शन को पश्चिम तक पहुंचाने तथा सफलतापूर्वक हजारों की संख्या में पश्चिम के युवाओं को भगवान कृष्ण की भक्ति से जोड़।
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कुटुम्बकम के आदर्शो पर उपदेश देने के लिये 10 बार विश्व भ्रमण किया
वर्ष 1966 में 70 वर्ष की आयु में उन्होंने ईश्वर के प्रति चेतना जागृत करते हुए खुशहाल जीवन, मन की शांति और सद्गुणों को विकसित करने का मानव समाज को अवसर प्रदान करने के लिये इस्कॉन की स्थापना की। इसके बाद 12 वर्ष की अल्प अवधि में उन्होंने दुनियाभर में 100 मंदिरों की स्थापना की, भगवतगीता एवं श्रीमद, भगवतम पर आधारित 60 खंड भक्ति साहित की रचना की तथा वसुधैव कुटुम्बकम के आदर्शो पर उपदेश देने के लिये 10 बार विश्व भ्रमण किया। श्री दास ने कहा,‘‘ इस महत्वपूर्ण पुस्तक से श्रील प्रभुपाद की आध्यात्मिक दृष्टि एवं विचारों को देश और विदेश में प्रस्तुत करने में मदद मिलेगी।पुस्तक‘सिंग, डांस एंड प्रे’ देश में सभी प्रमुख पुस्तक भंडारों और एमेजन पर ऑनलाइन उपलब्ध है और इसका किंडल प्रारूप भी है।’’ 

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