नवरोज के अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पारसी नववर्ष पर लोगो को शुभकामनाए दी। ये एक पारसी त्यौहार होता है और इस दिन पारसी समुदाय अपना नया साल मानते है। पारसी समुदाय के लोग नवरोज़ को विशेष तरीके से मनाते हैं। वे अपने घर को दरवाज़ों पर झूलती फूलों की मालाओं से सजाते हैं। वे नए कपड़े पहनते हैं और पारसी अग्नि मंदिर जाते हैं।
प्रकृति के नवीनीकरण का प्रतीक
Warm greetings on the auspicious occasion of Navroz, which marks the beginning of the Parsi New Year.
Embodying rejuvenation, optimism, and hope, the festival of Navroz is an occasion for friends and family to come together in the celebration of kinship, unity and fraternity.…
— Vice President of India (@VPIndia) August 16, 2023
उन्होंने लिखा, “यह नवरोज़ सभी के जीवन में स्वास्थ्य, खुशी और समृद्धि लाए। भारत भर में पारसी समुदाय आज अपना नया साल मना रहा है। पारसी नव वर्ष, जिसे नवरोज़ या नौरोज़ भी कहा जाता है, वसंत की शुरुआत और प्रकृति के नवीनीकरण का प्रतीक है। फ़ारसी में, ‘नव’ का अर्थ नया है, और ‘रोज़’ का अर्थ दिन है, इसका शाब्दिक अर्थ ‘नया दिन’ है।
कई फारसवासी भारत और पाकिस्तान भाग गए
ऐसा माना जाता है कि नवरोज़ उत्सव उस समय से मनाया जाता है जब पैगंबर जरथुस्त्र ने फारस (अब ईरान) में दुनिया के सबसे पहले ज्ञात एकेश्वरवादी धर्मों में से एक, पारसी धर्म की स्थापना की थी। सातवीं शताब्दी में इस्लाम के उद्भव तक यह प्राचीन दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण धर्मों में से एक था। फारस पर आक्रमण के दौरान, कई फारसवासी भारत और पाकिस्तान भाग गए। तब से, उनके त्यौहार भारतीय उत्सवों का हिस्सा बन गए हैं और विभिन्न संस्कृतियों के लोगों द्वारा मनाए जाते हैं।