स्वास्थ्य सचिव की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि अगर आपकी आंखों में फ्लू के लक्षण दिखें तो देर न करें, तुरंत डॉक्टर से मिलें। खुद से कोई दवा या आई ड्रॉप का इस्तेमाल न करें, इससे खतरा बढ़ सकता है।
तेजी से बढ़ रही है आई फ्लू के मरीजों की संख्या
आपको बता दे कि कंजेक्टिवाइटिस यानी में आई फ्लू के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। वही इसको लेकर अब राज्य के सभी जिला अस्तपालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में रोजाना कंजेक्टिवाइटिस यानी आई फ्लू के मरीज पहुंच रहे हैं।
आई फ्लू के मरीजों की संख्या में बढोत्तरी देखते हुए लोगों से आइसोलेट होने को कहा
वही , आई फ्लू के मरीजों की संख्या में बढोत्तरी देखते हुए अस्पताल प्रबंधन भी लगातार लोगों से आइसोलेट होने को कह रहा है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने कंजेक्टिवाइटिस यानि आई फ्लू को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी है। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने राज्य के सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।
आई फ्लू किसी संक्रमित व्यक्ति की आंखों के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है
आपको बता दे कि स्वास्थ्य सचिव की ओर से जारी निर्देशों में बताया गया है कि जैसा कि आप विदित है कि वर्तमान में कन्जक्टिवाइटिस (आई फ्लू) रोग एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हो रहा है जो कि एलर्जी, बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण के कारण हो सकता है। कंजेक्टिवाइटिस किसी संक्रमित व्यक्ति की आंखों के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है और काफी संक्रामक हो सकता है।
किसी भी ओवर-द-काउंटर दवा या आई ड्रॉप का उपयोग स्वयं न करें
अपने जिले में कंजंक्टिवाइटिस रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए अस्पताल स्तर पर सभी आवश्यक दवाओं एवं अन्य तैयारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करें। इस बीमारी की रोकथाम के लिए आम जनता में जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि अगर आपकी आंखों में आई फ्लू के लक्षण दिख रहे हैं तो विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें और इलाज कराएं। किसी भी ओवर-द-काउंटर दवा या आई ड्रॉप का उपयोग स्वयं न करें क्योंकि वे आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
कंजेक्टिवाइटिस (आई फ्लू) के लक्षण : आंख की बाहरी झिल्ली और पलक के अंदरूनी हिस्से में सूजन या संक्रमण का होना। कंजंक्टिवाइटिस (आई फ्लू) आंख की परत जिसे कंजंक्टिवा कहा जाता है, की सूजन या जलन है, जो आंख की पुतली के सफेद हिस्से को प्रभावित करती है, जो एलर्जी, बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण के कारण हो सकती है। आपको बता दे कि कंजंक्टिवाइटिस संक्रमित व्यक्ति की आंखों के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है और काफी संक्रामक हो सकता है।
लक्षण :
1. आंखों में लाली आना,
2. लगातार खुजली जलन होना धुंधली दृष्टि एवं नम आंखें
3. प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, सूजी हुई पलकें
4. पलकों का पपड़ीदार होना,
दृष्टि संबंधित समस्याएं संक्रमण को फैलने से कैसे रोकें?
1. कंजेक्टिवाइटिस को फैलने से रोकने के लिए साफ-सफाई रखना सबसे जरूरी है, इसके अलावा इन बातों का ध्यान भी रखें।
2. अपनी आंखों को अपने हाथ से न छुए।
3. जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं।
4. अपनी निजी चीजों जैसे तौलिया, तकिया, आई कॉस्मेटिक्स (आंखों के मेकअप) आदि को किसी से साझा न करें।
5. अपने रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि चीजों को रोज धोएं।
क्या करें :
1. जब भी जरूरी हो अपने हाथों को धोएं। अपने रूमाल, तकिये के कवर, तौलिये आदि चीजों को रोज धोएं।
2. विशेषज्ञ से संपर्क करके इलाज करायें।
3. घर से बाहर या धूल में निकलने से पहले चश्मा पहनना।
4. अपने तकिए के कवर को बार-बार बदलें।