Ghulam Nabi Azad Resigns : सोनिया गांधी जब विदेश में इलाज करा रहीं तब आजाद का इस्तीफा भेजना दुर्भाग्यपूर्ण - कांग्रेस - Punjab Kesari
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Ghulam Nabi Azad resigns : सोनिया गांधी जब विदेश में इलाज करा रहीं तब आजाद का इस्तीफा भेजना दुर्भाग्यपूर्ण – कांग्रेस

कांग्रेस वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के पार्टी से सभी पदों से इस्तीफा दिए जाने के बाद पार्टी

कांग्रेस वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के पार्टी से सभी पदों से इस्तीफा दिए जाने के बाद पार्टी नें उनको कटघरे में खड़ा कर दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, सचिन पायलट, इमरान प्रतापगड़ी सहित अन्य नेताओं नें गुलाम नबी आजाद के इस्तीफा देने के समय पर दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उनपर हमला बोला है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह नें कहा, सीधी सी बात है कि हो सकता है कि आपके उनके(भाजपा )के साथ संबंध जुट गए हैं। जिन्होंने कश्मीर में धारा 370 समाप्त की, हो सकता है कि आपके उनके साथ मधुर संबंध हो गए हैं। लेकिन एक बात मैं जरूर आपसे कहूंगा आज आपने लिखा है कि कांग्रेस जोड़ों की आवश्यकता है उसी पत्र में आप कह रहे हैं कि भारत जोड़ो की जरूरत नहीं है कांग्रेस जोड़ने की बजाय आप कांग्रेस छोड़ने में जुटे हुए हैं।
मैं आपके कदम की घोर निंदा करता हूं सोनिया जी व उनके परिवार ने आपको सब कुछ दिया है। सोनिया जी जब स्वास्थ्य कारणों से विदेश गई हुई है तब आप यह कदम उठा रहे हैं मुझे बिल्कुल आपसे यह उम्मीद नहीं थी।
उन्होंने आगे कहा, इस संकटकाल में आप को कांग्रेस का साथ देना चाहिए था, मुझे यकीन है कि पूरे कांग्रेस जन आपके इस कदम की घोर निंदा करेंगे।
आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्नों का इस्तीफा भेजा, हालंकी इसी बीच जानकारी सामने आ रही है कि आजाद अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे।
वहीं राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगड़ी नें कहा, ऐसे समय में जब कांग्रेस तैयार होकर 3500 किलोमीटर की भारत जोड़ो यात्रा कर रही है, 4 सितंबर को महंगाई के खिलाफ हल्ला बोल रैली करने जा रहे हैं और जिस समय कांग्रेस को और उनके नेताओं को एकजुट खड़ा रहना चाहिए था, जब सोनिया जी बीमार हैं इलाज के लिए विदेश में हैं, ऐसे समय में गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा भेजा है।
उन्होंने कई तरह के आलाकमान पर आरोप लगाए हैं क्योंकि बात नहीं सुनी जा रही, राहुल गांधी के नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है मुझे हैरत होती है कि जिन्होंने लगभग 42 साल सत्ता के केंद्र में खुद को रखा। आज वह कह रही हैं कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही।
उन्होंने आगे कहा, कभी-कभी मुझे लगता है आजाद साहब की शिकायतें नहीं, साजिशें ज्यादा हैं अगर उन्हें जरा सी भी शिकायत है तो हमें आजाद सहाब से ज्यादा शिकायत होनी चाहिए।
इसके साथ ही सचिन पायलट ने कहा कि, आज गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा दिया है और एक लंबी चिट्ठी सोनिया गांधी को लिखी है। उनके भेजे गए पत्र का समय बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि 50 साल तक तमाम पदों पर रहने के बाद आज जरूरत थी देश को और पार्टी को कि भाजपा के शासन के खिलाफ उन मुद्दों को उठायें जो आजाद जी राज्यसभा में उठाते थे। हल्ला बोल रैली और 7 तारीख को भारत जोड़ो यात्रा हो रही है जब वक्त था एक साथ खड़े होने का तो आजाद साहब पीछे हटे हैं।
गुलाम नबी आजाद ने अपने त्याग पत्र में पार्टी को बर्बाद करने के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि अध्यक्ष पद के लिए वह ऐसे व्यक्ति को चुनेंगे जो बस कठपुतली बनकर रहे और पर्दे के पीछे सारे निर्णय वह खुद ही लें। आजाद ने आरोप लगाया कि 2020 में पार्टी में सुधार की मांग करने वाले जी-23 नेताओं को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में गाली दी गई, अपमानित किया गया और बदनाम किया गया।
अपने त्याग पत्र में उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से, कांग्रेस पार्टी में स्थिति ऐसी हो गई है कि अब पार्टी का नेतृत्व संभालने के लिए प्रॉक्सी का सहारा लिया जा रहा है। यह प्रयोग निश्चित रूप से विफल होगा। पार्टी इस तरह बर्बाद हो गई है कि स्थिति अ हाथ से निकल गई है। इसके अलावा, ‘चुना हुआ अध्यक्ष’ एक कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं होगा।
उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बिना आरोप लगाया, यह सब इसलिए हुआ क्योंकि पिछले आठ वर्षों में पार्टी नेतृत्व ने शीर्ष पर एक गैर-गंभीर व्यक्ति को बिठाने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि जिन 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की चिंता से यह पत्र लिखा था, उनका एकमात्र अपराध यह है कि उन्होंने पार्टी की कमजोरियों के कारणों और उसके उपचार के बारे में बताया।
वहीं गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के लिए राहुल गांधी और उनके करीबी नेताओं को दोषी ठहराया है। साथ ही पूरी संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया को एक ‘मजाक और दिखावा’ करार दिया है।
उन्होंने कहा, क्या भारत की आजादी के 75वें वर्ष में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इसके लायक है, यह एक ऐसा सवाल है जो एआईसीसी नेतृत्व को खुद से पूछना चाहिए।
निस्संदेह, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में आपने यूपीए -1 और यूपीए -2 दोनों सरकारों के गठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस सफलता का प्रमुख कारण यह था कि पार्टी अध्यक्ष के रूप में आपने वरिष्ठ नेताओं के बुद्धिमान परामर्श पर ध्यान देने के अलावा उनके निर्णय पर भरोसा जताया और उन्हें शक्तियां सौंपी।
हालांकि दुर्भाग्य से राहुल गांधी के राजनीति में प्रवेश के बाद और विशेष रूप से जनवरी, 2013 के बाद जब उन्हें आपके द्वारा उपाध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया, तो उन्होंने पहले मौजूद संपूर्ण सलाहकार तंत्र को ध्वस्त कर दिया और सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेता को दरकिनार कर दिया। उनकी जगह अनुभवहीन चाटुकारों की नई मंडली को पार्टी के मामलों को चलाने का अधिकार सौंपा गया।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में राहुल गांधी द्वारा सितंबर 2013 में मीडिया के सामने उस सरकारी अध्यादेश को फाड़ने को ‘पार्टी की हार का कारण’ बताया है, जिसे कांग्रेस कोर ग्रुप के सीनियर लीडर्स ने अपने अनुभवों के आधार पर तैयार किया था।
आजाद ने पत्र में पार्टी के साथ 50 साल लंबे अपने जुड़ाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वह राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की अध्यक्षता में कांग्रेस संसदीय बोर्ड के सदस्य थे।
आजाद ने कहा कि उन्होंने इस संगठन के लिए निस्वार्थ सेवा की है। उन्होंने हाल ही में सात साल के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी काम किया है।
उन्होंने कहा, मैं 1970 के दशक के मध्य में जम्मू और कश्मीर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुआ, जब 8 अगस्त 1953 के बाद से राज्य में इसके चेकर इतिहास (खराब हालात) को देखते हुए पार्टी के साथ जुड़ना वर्जित था।
उन्होंने कहा कि 1980 में आईवाईसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उन्हें राष्ट्रीय परिषद के सदस्य के रूप में राजीव गांधी के नेतृत्व में भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
उन्होंने कहा, मुझे 1980 के दशक के मध्य से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्येक अध्यक्ष के साथ एआईसीसी में महासचिव के रूप में सेवा करने का अवसर मिला है।

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