बिहार की राजधानी पटना में 15 विपक्षी दलों की 23 जून 2023 के दिन एक महाबैठक हुई थी. इस महाबैठक में करीब छह राज्यों के मुख्यमंत्री और 5 राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्री भी शामिल हुए थे. इस महाबैठक का ख़ास मकसद सिर्फ यही था की एक ऐसी गठबंधन सरकार बनाना जो की साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को गिरा दें. जी हाँ आपने सही सुना की इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने को लेकर रणनीति बनाई जा रही थी. लेकिन इस महागठबंधन से प्रधानमंत्री का चेहरा किसका होगा इस बात पर कोई भी चर्चा नहीं हुई. लेकिन आज आप सोच रहे होंगे की आखिर हम इस बारे में बात क्यों कर रहे हैं? तो आज इस लेख में आप पूरी बात जानेंगे की प्रधानमंत्री के नए चेहरे की दौड़ में कौन सा वो उम्मीदवार है जो सामने आ सकता है?
क्या ममता बनर्जी बनेंगी प्रधानमंत्री पद की नई उम्मीदवार?
विपक्षी दलों की बनाई इस महागठबंधन कमीटी में प्रधानमंत्री पद के लिए कई नाम सामने आ रहे थे. लेकिन इसी बीच खबर ये भी सामने आयी है की कांग्रेस प्रधानमंत्री पद के इस दावेदारी से पीछे हट रही है. जिसके बाद से ही TMC यानि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने ये दावा किया है की यदि विपक्ष से प्रधानमंत्री का कोई चेहरा होगा तो वो होगा सिर्फ ममता बनर्जी का ही होगा. जी हाँ आपने सही सुना TMC के सांसद शताब्दी राय का यही कहना है की यदि पीएम की इस दौड़ में कांग्रेस शामिल नहीं है तो ममता बनर्जी ही विपक्ष से प्रधानमंत्री का अगला चेहरा होंगी.
TMC के सांसद ने कही ये बड़ी बात
18 जुलाई के दिन कर्णाटक की राजधानी बेंगलुरु में हुई एक बैठक के दौरान कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे ने कहा था की “हमें पीएम पद में कोई भी दिलचस्पी नहीं है”. जिसके कारण ही TMC के सांसद शताब्दी राय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक बयान दिया जिसमे उन्होंने कहा था की “हम चाहते हैं कि हमारी नेता और राज्य की सीएम “पीएम” पद तक पहुंचें. लेकिन इसके लिए हमारा अगला कदम कुछ हटकर होने वाला है. उन्होंने ये भी कहा की सपने देखने में कोई भी बुराई नहीं है.
बैठक में लालू यादव ने उठाए कई सवाल
बेंगलुरु में हुई बैठक में बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव भी शामिल हुए थे. जहां उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का समर्थन करते हुए कांग्रेस के चीफ अधीर रंजन चौधरी पर कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा की अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी के खिलाफ क्यों हमला जारी किये हुए हैं. बल्कि विपक्ष दाल तो एकता बने रखने का दावा करती है”. अधीर रंजन का नाम लिए बगैर ही लालू यादव ने कई मुद्दों को सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सामने उठाया.