विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बुधवार को कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यह सुनिश्चित करने के लिए नियम-आधारित व्यवस्था होनी चाहिए कि समुद्री नौवहन और विमानों की उड़ानों की स्वतंत्रता आदि का सभी संबंधितों पक्षों द्वारा पालन किया जाए।
उन्होंने ‘रायसीना डायलॉग’ में एक सत्र के दौरान कहा कि भारत महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और रणनीतिक खनिजों जैसे प्रयासों पर अपने ‘क्वाड’ भागीदारों के साथ काम कर रहा है तथा सुनिश्चित कर रहा है कि हमारी अपनी आवश्यकताओं के लिए रणनीतिक सामग्रियों के वास्ते वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता हों।
नियम आधारित व्यवस्था को लागू करने के लिए अंतराष्ट्रीय समुदाय को साथ आना चाहिए
उन्होंने जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह देखने के लिए एक साथ आना होगा कि नियम-आधारित व्यवस्था को कैसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा, हम जो बात कर रहे हैं… हम कैसे कोशिश कर सकते हैं और वैश्विक शासन मानदंड लागू कर सकते हैं जिसका सभी देशों को पालन करना चाहिए, खासकर जब नयी प्रौद्योगिकियों की बात हो।
श्रृंगला ने कहा, हम एक स्वतंत्र, खुला, पारदर्शी क्षेत्र के दृष्टिकोण से हिंद-प्रशांत के बारे में बात करते हैं। यह उस तरह का क्षेत्र है जिसमें हम खुद को देखना चाहते हैं, हम इसमें रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे एक नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था द्वारा संचालित किया जाना चाहिए। उनका यह बयान क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य तैयारियों के बीच आया है।
आत्मनिर्भर भारत का मतलब अलगाव नही
श्रृंगला ने यह भी कहा कि भारत के लिए आत्मनिर्भरता पर जोर या ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मतलब अलगाव नहीं है बल्कि इसका अर्थ ऐसी क्षमताओं का निर्माण करना है जो आपकी और दूसरों की मदद कर सकें।