उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) से पूछा कि क्या उनका बयान ‘घरों पर बुलडोजर चलाना गलत है’ न्यायालय द्वारा दर्ज किया जा सकता है।
जस्टिस एसके कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने की टिप्पणी
आपको बता दे कि जस्टिस एसके कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने ये टिप्पणी तब की है, जब उत्तर प्रदेश सरकार के वकील बुलडोजर चलाने के एक आरोपी की जमानत याचिका के विरोध में अपनी दलीले रख रहे थे।
मकानों पर बुलडोजर चलाना गलत है?
पीठ ने एएजी रवींद्र रायजादा से पूछा कि तो क्या आप सहमत हैं कि मकानों पर बुलडोजर चलाना गलत है? तो फिर आप निःसंदेह घरों पर बुलडोजर चलाने के सिद्धांत का पालन नहीं करेंगे? क्या हमें आपका बयान दर्ज करना चाहिए कि घरों पर बुलडोजर चलाना गलत है?
उन्होंने जवाब में कहा कि मेरी दलील इस मामले (जमानत देने के सवाल से संबंधित) तक ही सीमित है। मैं इससे आगे नहीं बढ़ूंगा। मौजूदा मामले में, याचिकाकर्ता को निचली अदालत ने जमानत दे दी थी, लेकिन आरोपी के आपराधिक इतिहास को देखते हुए राज्य सरकार की अपील पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश को रद्द कर दिया था।