‘द कश्मीरी फाइल्स’ फिल्म को उमर अब्दुल्ला द्वारा झूठ का पुलिंदा बताए जाने पर भाजपा ने उन पर पलटवार किया है। फिल्म को लेकर कहा था कि, इस फिल्म के निर्माताओं ने आतंकवाद से पीड़ित मुसलमानों और सिखों के संघर्ष को नजरअंदाज किया है। उन्होंने कहा, इसमें सही तथ्य नहीं दिखाए गए हैं। उमर अब्दुल्ला के इस बयान के बाद भाजपा नेता अमित मालवीय ने उन पर पलटवार किया है।
फारूक अब्दुल्ला ने 70 आतंकियों को छोड़ने को कहा था : भाजपा नेता
भाजपा नेता ने ट्वीट कर कहा, उमर अब्दुल्ला को ‘द कश्मीरी फाइल्स’ की कौन सी बात झूठ लगती है। मालवीय ने कहा, फारूक अब्दुल्ला ने 18 जनवरी 1990 को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और 19 जनवरी से ही मासूम कश्मीरी पंडितों का नरसंहार शुरू हुआ था। उन्होंने कहा, क्या यह सच नहीं है कि, आईएसआई द्वारा प्रशिक्षित 70 खतरनाक आतंकियों को छोड़ने का देश दिया था? उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि जब कश्मीरी पंडितों की हत्या हुई तब फारूक अब्दुल्ला मुख्यमंत्री नहीं थे।
उस समय केंद्र में भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार थी : उमर
उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि, उस समय केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी जिसे भाजपा ने समर्थन दे रखा था। उनकी इस बात पर भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा, 1984 में इंदिरा गांधी ने जगमोहन दास को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त किया था और जुलाई 1989 में अपने इस्तीफे से पहले उन्होंने राजीव गांधी को घाटी में पनपते आतंकवाद को लेकर सावधान किया था। उन्होंने कहा, राजीव गांधी ने जगमोहन को लोकसभा की टिकट ऑफर किया था लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। इसके बाद उन्हें 20 जनवरी को दोबारा जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बना दिया गया। इसके बाद उन्हें 20 जनवरी को दोबारा जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बना दिया गया। 22 जनवरी को वह श्रीनगर पहुंचे। तब तक वहां जिहाद शुरू हो चुका था।