स्वीडन की टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन ने अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के खिलाफ भारत के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनिल अंबानी और कंपनी के दो अन्य निदेशकों को बिना इजाजत विदेश जाने से रोके जाने की मांग की है। कंपनी ने आरकॉम पर जान-बूझकर 550 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने का आरोप लगाते हुए अदालत से ये मांग की।
दरअसल अनिल अंबानी की आरकॉम पर एरिक्सन कंपनी का 1100 करो़ड़ रुपये बकाया है। जिसे लेकर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने 30 सितंबर तक आरकॉम को 550 करोड़ एरिक्सन को देने को कहा था। लेकिन NCLT के आदेश के बावजूद आरकॉम तय राशि एरिक्सन को देने में नाकाम रही।
एरिक्सन ने आरकॉम के साथ साल 2014 में सात साल की डील की थी। कंपनी ने अदालत से अनिल अंबानी की आरकॉम और इसके प्रबंधन के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने और देश छोड़ने से पहले अदालत की इजाज़त का निवेदन करते हुए कहा, ‘वे देश कानून की बिल्कुल इज़्ज़त नहीं करते, उन्होंने कानूनी प्रक्रिया का अपमान किया है। इन लोगों के बिना अदालत के देश छोड़ने पर रोक लगाई जानी चाहिए।
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वहीं इस मामले में अनिल अंबानी की आरकॉम कंपनी ने बुधवार को कहा कि उसे दूरसंचार न्यायाधिकरण से राहत मिली है और वह अब अपनी योजनाबद्ध स्पेक्ट्रम बिक्री प्रक्रिया को पूरी कर सकती है। बिक्री से प्राप्त धन का उपयोग एरिक्सन इंडिया को बकाए का भुगतान करने में किया जाएगा।
गौरतलब है कि एरिक्सन ने आरकॉम के टेलिकॉम नेटवर्क के भारत में संचालन और प्रबंधन के लिए 2014 में सात साल का करार किया था। इस दौरान आरकॉम पर एरिक्सन का 1100 करोड़ का बकाया हो गया। इससे पहले सुनवाई में आरकॉम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि दिवालिया घोषित होने की सूरत में वो संपत्ति का निपटारा नहीं कर पाएंगे। इसपर एरिक्सन ने भी कहा था कि उसका बकाया मिलने तक आरकॉम को दिवालिया घोषित करने की कार्रवाई शुरू न की जाए।