शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन निलंबित सांसदों ने संसद परिसर में क्यों पढ़ी संविधान की प्रस्तावना? जानिए वजह - Punjab Kesari
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शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन निलंबित सांसदों ने संसद परिसर में क्यों पढ़ी संविधान की प्रस्तावना? जानिए वजह

संसद के मानसून सत्र के दौरान किए गए ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए शीतकालीन सत्र में निलंबित किए गए

संसद का शीतकालीन सत्र विपक्ष के भारी हंगामे के बीच एक दिन पहले ही समाप्त हो गया है। संसद के मानसून सत्र के दौरान किए गए ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए शीतकालीन सत्र में निलंबित किए गए राज्यसभा के 12 सदस्यों ने बुधवार को दोनों सदनों की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने के बाद संसद परिसर में संविधान की प्रस्तावना पढ़कर और राष्ट्रगान गाकर अपने धरने का समापन किया। इस धरने में तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डेरेक ओब्रायन भी शामिल हुए, जिन्हें मंगलवार को राज्यसभा में सदन की नियमावली पुस्तिका सदन में उछालने के कारण सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया था।  
सुबह से शाम तक महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठेंगे 
गत 29 नवंबर को निलंबन के बाद से 12 सांसद यहां संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दे रहे थे। उनका कहना था कि जब तक निलंबन रद्द नहीं होगा, तब तक वे संसद की कार्यवाही के दौरान सुबह से शाम तक महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठेंगे। सरकार का कहना था कि अगर ये सदस्य अपने कृत्य के लिए माफी मांग लें तो उनके निलंबन पर पुनर्विचार सकता है।  
एकसाथ खड़े होकर संविधान की प्रस्तावना पढ़ी  
हालांकि इन सांसदों ने कहा कि वे माफी नहीं मांगेंगे क्योंकि उन्होंने कुछ नहीं किया और उनके खिलाफ असंवैधानिक तरीके से कार्रवाई की गई। इस मुद्दे को लेकर कई दिनों तक राज्यसभा में गतिरोध भी बना रहा। इन सदस्यों ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एकसाथ खड़े होकर संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और राष्ट्रगान गाया।  
ये नेता रहे कतार में शामिल  
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन (29 नवंबर) राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले सत्र के दौरान कथित तौर पर किए गए ‘अशोभनीय आचरण’ इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था। जिन सदस्यों को निलंबित किया गया था उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल थे।

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