देश में मुसलमानों के खिलाफ गौरक्षकों की हिंसा और मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और छह राज्यों के पुलिस प्रमुखों को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने यह नोटिस एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया। याचिका में पिछले छह महीने में सामने आए मामलों के लिए मुआवजे की मांग की गई है।
कार्रवाई करने का आदेश देने की मांग
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने शुक्रवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिका में 2018 में तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन को लेकर चिंता जताई गई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट से सभी राज्यों को निर्देश के मुताबिक कार्रवाई करने का आदेश देने की मांग की गई है।
नोटिस जारी कर मांगा जवाब
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के साथ-साथ 6 राज्यों हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, ओडिशा और महाराष्ट्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि हम नोटिस जारी करेंगे।महिला संगठन ने मॉब लिंचिंग में पुरुषों की हत्या के बाद बचे परिवार की महिलाओं का मुद्दा उठाया है।
मुझे विभिन्न हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा-सिब्बल
कपिल सिब्बल ने कहा कि पिछली बार जब वह शीर्ष अदालत पहुंचे थे तो उन्हें ऊंची अदालतों में जाने के लिए कहा गया था।सिब्बल ने कहा, ”अगर ऐसा हुआ तो मुझे विभिन्न हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा, लेकिन पीड़ितों को क्या मिलेगा? दस साल बाद दो लाख का मुआवजा। मेरे पास क्या उपाय है, मैं कहाँ जाऊंगा।” इसके बाद पीठ ने सुनवाई की मांग मंजूर करते हुए सिब्बल से कहा कि, वह याचिका पर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर रही है।