जातिगत जनगणना एक राजनीतिक मुद्दा था लेकिन जैसे ये धरातल पर लाया गया इसे न्याय प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। पहले पटना उच्च न्यायलय और अब ये मामला देश की सर्वोच्च अदालत है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वह इस प्रक्रिया पर तब तक रोक नहीं लगाएगा जब तक कि वे (याचिकाकर्ता) इसके खिलाफ प्रथम दृष्टया ठोस आधार नहीं देते।
इस के कुछ परिणाम हो सकते
उच्च न्यायालय ने केंद्र की तरफ से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मसले पर सात दिन के अंदर अपना जवाब दाखिल करने की भी आज्ञा दी। क्योंकि उन्होंने कहा था कि सर्वेक्षण के कुछ परिणाम हो सकते हैं।मेहता ने कहा, “हम इस तरफ या उस तरफ नहीं हैं, लेकिन इस के कुछ परिणाम हो सकते हैं और इसलिए हम अपना जवाब दाखिल करना चाहेंगे। उन्होंने मिलने वाले परिणामों के बारे में विस्तार से नहीं बताया। याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से राज्य सरकार को आंकड़े प्रकाशित करने से रोकने का निर्देश देने की मांग।
जाने क्या कहा पीठ ने
पीठ ने कहा, “आप समझिए, दो चीजें हैं। एक आंकड़ों का संग्रह (Collection) है, वह कवायद जो समाप्त हो गई है, और दूसरा सर्वेक्षण के दौरान एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण है। दूसरा भाग, ज्यादा मुश्किल है। जब तक आप (याचिकाकर्ता) प्रथम दृष्टया मामले का आधार बनाने में सक्षम नहीं हो जाते, हम किसी भी चीज पर रोक नहीं लगाने वाले।
राज्य के पक्ष में पहले ही फैसला आ चुका
इसमें कहा गया है कि बिहार सरकार ने पिछली सुनवाई के दौरान आश्वासन दिया था कि वह डेटा प्रकाशित नहीं करने जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब रोहतगी ने बिहार सरकार को रोक लगाने का आदेश देने पर जोर दिया, तो पीठ ने कहा, “राज्य के पक्ष में पहले ही फैसला आ चुका है। यह इतना आसान नहीं है. जबतक प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता, हम इस पर रोक नहीं लगाने वाले।
राज्य पर कोई रोक नहीं
बिहार सरकार के पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि आदेश में कुछ भी दर्ज नहीं किया जाना चाहिए और राज्य पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। पीठ ने कहा, “मामले को आगे की दलीलें सुनने के लिए आज सूचीबद्ध किया गया था. हम शुक्रवार को वरिष्ठ अधिवक्ता सी. एस. वैद्यनाथन को लगभग 20 मिनट तक सुन चुके हैं। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल मेहता की ओर से केंद्र का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगने के बाद, मामले की आगे की सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की।