सुप्रीम कोर्ट ने गृह सचिव को निर्देश दिया कि 18 अप्रैल तक हलफनामा दाखिल कर बताएं कि क्या सरकार तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पुर्तगाल सरकार को दिए गए इस औपचारिक आश्वासन का पालन करने जा रही है कि कुख्यात अपराधी अबू सलेम को दी गयी अधिकतम सजा 25 साल से ज्यादा की नहीं होगी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने मंलवार को केंद्र को ‘अंतिम अवसर’ दिया। इससे पहले सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कुछ संवादहीनता है। सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल करने में देरी पर क्रोध जताते हुए कहा, ‘‘यह सही बात नहीं है। अगर आपके गृह सचिव बहुत व्यस्त हैं तो हम उन्हें यहां बुला सकते हैं।’’
महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर राहुल गांधी ने बीजेपी को घेरा, बुलडोजर को लेकर कही ये बात…
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलील है कि उनकी तरफ से कुछ संवादहीनता रही और केंद्रीय गृह सचिव का हलफनामा 18 अप्रैल, 2022 को या उससे पहले दाखिल किया जाएगा जो अंतिम अवसर है।’’ सुनवाई के दौरान मेहता ने हलफनामा बुधवार तक जमा करने संबंधी दूसरे पक्ष के वकील की दलील पर आपत्ति जताई।
उन्होंने कहा कि 25 साल की अवधि 2027 में समाप्त होगी और यदि छूट नहीं दी गयी तो यह 2030 में समाप्त होगी। मेहता ने कहा कि दूसरे पक्ष के वकील कोर्ट को नहीं बता सकते कि क्या करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट की समय-सारणी का सम्मान किया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘कृपया उन्हें सलाह दीजिए। हम केवल इस मामले को लेकर चिंतित नहीं हैं। हम प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। कृपया देखिए कि दूसरे मामलों में आपकी प्रक्रियाएं बाधित नहीं होनी चाहिए।’’ मामले को 21 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले केंद्र से इस विषय पर रुख स्पष्ट करने को कहा था।