उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक कर्मचारी द्वारा मांगे गये सेवा से जुड़े रिकार्ड और अन्य विवरण उपलब्ध कराने का केंद्र को मंगलवार को निर्देश दिया, ताकि वह पदोन्नति के लिए अपने मामले को आगे बढ़ा सके।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रवि कुमार की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ केंद्र की अपील का निस्तारण कर दिया।
उच्च न्यायालय ने 22 मार्च 2022 के अपने आदेश में कहा था कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत मिली छूट के आधार पर जांच या खुफिया एजेंसियों के कर्मचारियों को सेवा रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराना उनके मानवाधिकारों का हनन है।
उच्चतम न्यायालय ने अपना आदेश जारी करने से पहले कहा कि वह उच्च न्यायालय के इस विचार से सहमत नहीं है कि इस तरह की सूचना मुहैया करने से इनकार करना जांच एजेंसियों के कर्मचारी के मानवाधिकारों के हनन के समान है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के इस तर्क को मंजूर नहीं करते हैं कि जांच एजेंसियों के कर्मचारी को सेवा रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराना मानवाधिकार का एक मुद्दा है। हालांकि, हम कानून के इस प्रश्न को खुला छोड़ रहे हैं।’’
शीर्ष न्यायालय ने सरकार को कनिष्ठ श्रेणी लिपिक (एलडीसी) की 1991 से वरिष्ठता सूची की प्रतियां और ईडी के एक कर्मचारी के लिए विभागीय पदोन्नति समिति के समक्ष रखे गये एलडीसी की पदोन्नति के प्रस्तावों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
केंद्र की ओर से न्यायालय में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि खुफिया एजेंसियों और जांच एजेंसियों को कोई रिकार्ड का खुलासा करने से आरटीआई अधिनियम की धारा 24 के तहत छूट प्राप्त है।
केंद्र ने उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने ईडी को कर्मचारी द्वारा मांगी गई सूचना मुहैया करने को कहा था।