2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का शंखनाद बज चुका है. देश में हर तरफ सभी पार्टियां चुनाव के लिए अलग-अलग रणनीतियां तैयार कर रही है. फिर चाहे वो एनडीए हो या फिर अन्य विपक्षी दल. दोनों ही अपने आप को आगे दिखाने और बढ़ाने में लगे हुए हैं. 18 जुलाई के दिन दिल्ली में NDA की बैठक हुई तो वहीँ बेंगलुरु में भी विपक्ष ने आगे बढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ा. लेकिन एक बात काफी हैरान कर देने वाली है की दोनों ही पार्टियां बीजेपी हो या फिर कांग्रेस, छोटे-छोटे दलों को जोड़ने में लगे हुए हैं. जिसको लेकर देश की जनता के बीच से कई सवाल खड़े होते हुए नज़र आ रहे हैं. इसी को लेकर हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि आखिरकार जनता की बनने वाली इस गठबंधन पर क्या सोच है?
क्या सोनिया गांधी की सक्रियता से मिलेगी पार्टी को मजबूती?
विपक्ष दलों की इस एक जुटता में सोनिया गांधी काफी एक्टिव नज़र आ रही हैं. लेकिन क्या सोनिया गांधी के इस सहयोग से विपक्ष को मजबूती मिलेगी? क्या विपक्ष बीजेपी को सत्ता से हटाने में कामयाब हो पाएगी? इस सिलसिले में सोशल मीडिया से लेकर ट्वीटर तक हर जगह पर आम जनता बयान-बाजी करते हुए नज़र आ रही है. जिसमे साफ़ तौर पर देखा जा सकता है की आम जनता को सोनिया गाँधी की ये सक्रियता लोगों को खूब भा रही है. वहीँ कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी इस पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं है.
छोटे दलों को जोड़ना बन सकता है मास्टर प्लान!
दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश में जहां जनता से देश के लोकतंत्र के ऊपर ये सवाल किया गया, की क्या 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में छोटे-छोटे दलों को जोड़ना कोई मास्टर प्लान हो सकता है? तो ज़्यादातर लोगों का यही कहना रहा की ये एक राजनीतिक रणनीति है. जिसमे छोटे दलों को एक साथ जोड़कर एक बड़े मास्टर स्ट्रोक की तैयारी की जा रही है. बता दें की विपक्ष दलों की इस महागठबंधन में राहुल गाँधी की जगह किसका चेहरा हो इन बातो पर भी कई हद तक ध्यान दिया जा रहा है. क्योंकि राहुल गाँधी को सज़ा सुनाने के बाद उनकी सदस्यता छीन ली गयी है. जिसके बाद वो चुनाव नहीं लड़ सकते. लेकिन अगर हम आम जनता की तरफ ध्यान दें तो ज़्यादातर लोगों का कहना है की राहुल गांधी के बाद प्रियंका गांधी नंबर 1 पर हैं जो विपक्ष से प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार बन सकती हैं.