पेगासस आदि मुद्दों पर राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे की सीतारमण ने की निंदा, विरोध को बताया हिंसक प्रदर्शन - Punjab Kesari
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पेगासस आदि मुद्दों पर राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे की सीतारमण ने की निंदा, विरोध को बताया हिंसक प्रदर्शन

पेगासस जासूसी मामले सहित विभिन्न मुद्दों पर राज्यसभा में विपक्षी दलों के हंगामे को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

पेगासस जासूसी मामले सहित विभिन्न मुद्दों पर राज्यसभा में विपक्षी दलों के हंगामे को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को ‘‘हिंसक प्रदर्शन’’ करार देते हुए कहा कि सदन में इस प्रकार व्यवधान उत्पन्न किए जाने के रवैये की भर्त्सना की जानी चाहिए। सीतारमण ने कहा,‘‘संसदीय शिष्टाचार बहुत महत्वपूर्ण होता है। असहमति होने पर आप विरोध कर सकते है। बहरहाल, जब कोई सदस्य (सदन में) बोलने के लिए खड़ा हो तो उन्हें बाधित करना और धमकाने वाले अंदाज में उन्हें घेर लेना…यह सब अस्वीकार्य है।’’
इससे पहले जब बीजू जनता दल के सदस्य दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहित संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग ले रहे थे तो विरोध कर रहे विपक्ष के कुछ सदस्य तख्तियां लेकर उनके समीप भी आ गये थे। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘मैं तो अब भी विपक्ष के सदस्यों को आमंत्रित करती हूं कि वे विरोध करने के बजाय विधेयक पर चर्चा में भाग लें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से विचित्र है कि वे लोग जो व्यवधान में वैयक्तिक रूप से योगदान दे रहे हैं, जब वे बोलने के लिए खड़े होते हैं तो चाहते हैं कि सदन में व्यवस्था रहे…यह कितना स्वार्थी रवैया है?’’…जब सदस्यों को बाधित किया जाता है, चाहे वह प्रश्न काल हो या शून्यकाल हो… कागज फाड़कर उछाले गए, जब कोई मंत्री या सदस्य बोल रहा होता है तो विरोध कर रहे सदस्य उसकी तरफ आते हैं…यह (रवैया) भर्त्सना योग्य है। ’’
उच्च सदन में इसी सत्र के दौरान 22 जुलाई को सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव पैगासस जासूसी मामले में अपनी तरफ से बयान दे रहे थे तो तृणमूल कांग्रेस के सदस्य शांतनु सेन ने उनके हाथ से इस बयान को छीन लिया था। बाद में उनके इस आचरण के लिए सेन को पूरे सत्र के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया।
सीतारमण ने कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि सभी सदस्य इस हिंसा और व्यवधान की भर्त्सना करने में मेरा समर्थन करें।’’ उन्होंने कहा कि वह एक सदस्य का नाम नहीं लेना चाहतीं किंतु जब वह बोलने आए तो उन्होंने विधेयक छोड़कर सभी विषयों पर बात की किंतु ‘‘आसन के समक्ष हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन की एक बार भी भर्त्सना नहीं की।’’ उच्च सदन में 19 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र में विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण लगातार गतिरोध बना हुआ है। विपक्ष के कुछ सदस्य हाथों में तख्तियां लेकर आसन के समक्ष नारेबाजी करते रहे हैं।

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