केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बकरी के हिमीकृत (फ्रोजन) वीर्य का उपयोग कर ‘लेप्रोस्कोपिक’ तकनीक द्वारा कृत्रिम गर्भाधान करा मेमने का जन्म दिलाने में सफलता प्राप्त की है। इससे बकरी पालन में विकास होने की उम्मीद है। संस्थान के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरह की यह पहली सफलता है और मेमना तथा उसे जन्म देने वाली बकरी पूरी तरह स्वस्थ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से बकरी पालन में उल्लेखनीय विकास होगा।
यह संस्थान यहां फरह क्षेत्र के मखदूम गांव में स्थित
कृषि अनुसंधान परिषद की अनुषांगिक शाखा केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि ‘लेप्रोस्कोपिक’ तकनीक से बकरी में छह जुलाई को गर्भाधान किया गया था। उन्होंने बताया कि बकरी ने दो दिसंबर को मेमने को जन्म दिया और यह प्रयोग सफलतापूर्वक किया गया। यह संस्थान यहां फरह क्षेत्र के मखदूम गांव में स्थित है।
बकरी पालन और भी समृद्ध होगा
संस्थान के निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने इस प्रयास की सराहना की है। शोध टीम में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसडी खर्चे, डॉ. योगेश कुमार सोनी, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. रवि रंजन एवं डॉ. आर पुरुषोत्तमन शामिल थे। परियोजना प्रभारी डॉ. योगेश कुमार सोनी ने बताया “ दूरबीन तकनीक द्वारा कृत्रिम गर्भाधान तकनीक भेड़ एवं बकरियों में प्रयोग होने वाली नई पद्धति है। इसके द्वारा उच्च गर्भधारण दर के साथ-साथ उच्च कोटि के नर बकरों के वीर्य का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे बकरी पालन और भी समृद्ध होगा।”