उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहां भारत कोविड-19 वायरस से लड़ने और अन्य देशों का समर्थन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है, वहीं कुछ लोग हैं जो नहीं सोचते कि भारत अच्छा कर सकता है। उन्होंने यह बात एम्स दिल्ली में एक ग्रेजुएशन सेरेमनी के दौरान कही। उन्होंने कहा कि एक देश के तौर पर हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है न कि इस नकारात्मक रवैये पर विश्वास करने की। इस तरह सोचने से किसी को कुछ हासिल नहीं होगा।
सेवा करना चाहते हैं
धनखड़ ने आगे कहा कि वह कानूनी पेशे से आते हैं और वह समझते हैं कि पेशेवराना रुख का क्या अर्थ है। उन्होंने कहा कि तनिक शिथिलता, तनिक व्यावसायीकरण, तनिक नैतिक विचलन उन लोगों के लिए खराब साबित हो सकता है जिनकी वे सेवा करना चाहते हैं। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और स्वास्थ्य राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल भी मौजूद थे।
एक उल्लेखनीय उपलब्धि है
धनखड़ ने कहा कि दीक्षांत समारोह तीन साल के अंतराल के बाद हो रहा है और यह अंतराल उन्हें कोविड महामारी की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी कड़ी मेहनत और गंभीर प्रयासों से देश को उस संकट से बाहर निकाला। उपराष्ट्रपति ने कहा, उन्होंने हमारे सभ्यतागत लोकाचार का प्रदर्शन किया। हमने अपने यहां भी कोविड से लड़ाई लड़ी और साथ ही कई देशों की भी मदद की। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह देखना दुखद था कि हमारी क्षमता पर विश्वास नहीं करते हुए कुछ चिंताएं जताई गईं।
इस दिशा में व्यापक स्तर पर काम किया
उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व की फार्मेसी बन गया है। उन्होंने कहा, Òहमारे पास वह कौशल, मानव संसाधन है। लेकिन हमें आम आदमी के लिए दवाओं को किफायती बनाने की खातिर कुछ और काम करना होगा। सरकार ने इस दिशा में व्यापक स्तर पर काम किया है। धनखड़ ने विद्यार्थियों के प्रतिस्पर्धा में बहुत अधिक शामिल होने को लेकर अपनी असहमति जताते हुए सलाह दी कि छात्रों को अपनी योग्यता के अनुसार करियर चुनना चाहिए। उन्होंने कहा, आप देश और समाज के लिए काफी योगदान दे सकेंगे।