किशोर अवस्था में कुछ गलत कदम उठ जाते जिसके चलते बहुत से युवा अपनी जिंदगी को गहरे अंधरे की ओर ले जाते है। किशोर और किशोरी आपस में सम्बन्ध बनते है तो उस दौरान किशोरी गर्भवती हो जाती है तो लड़की पक्ष के लोग अधिकतर यही आरोप लगाते है हमारी लड़की को बहलाया – फुसलाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में इसी बात को लेकर एक अर्जी दाखिल हुई है गर संबंध सहमति से बने हैं तो लड़के को रेप की सजा मिलना गलत है।
यौन अपराध से बच्चो को सुरक्षित करने के लिए देश में पॉक्सो एक्ट
अभी कानून के मुताबिक अगर 18 वर्ष से कम किशोर और किशोरी आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाते है और लड़की गर्भवती हो जाती है तो लड़के पर रेप का केस लगेगा। यौन अपराध से बच्चो को सुरक्षित करने के लिए देश में पॉक्सो एक्ट लागू है। इस कानून के अनुसार सहमति कोई मायने नहीं रखती। अगर किसी किशोर ने किशोरी के साथ शारीरिक संबंध बनाए गए हैं तो वह अपराध ही माना जाएगा।
इस कानून में लड़को के लिए सुरक्षा
धारा 376 के मुताबिक लड़की की उम्र 16 वर्ष से कम है तो संबंध मर्जी से बनाए हों लेकिन उससे कोई मतलब नहीं। लड़की के परिजनों की शिकायत पर लड़के पर दुष्कर्म का मामला होता है। इस कानून में लड़को के लिए सुरक्षा की मांग की गई। अर्जी के मुताबिक 16 से 18 साल के किशोरअवस्था वालो के बीच सहमति से बने सबंधो को अपराध की श्रेणी से अलग कर देना चाहिए। इससे काम आयु पर यह सजा होनी चाहिए।
लड़के और लड़की की उम्र के बीच अधिक अंतर न हो
अर्जी में कहा गया आजकल के टीनएजर्स इतने समझदार हैं कि सोच-विचारकर ही काम करते हैं। इस हिसाब से सिर्फ लड़के पक्ष को परेशांन करना सही नहीं। रोमियो- जूलियट कानून के अनुसार कुछ विशेष परिस्ठति में लड़के को राहत दी जाती है। लड़के और लड़की की उम्र के बीच अधिक अंतर न हो , जैसे लड़का 19 साल का हो और लड़कीं 15 साल की हो। इसका अर्थ उम्र में चार साल का अंतर् है तो ऐसे हालात में रेप का केस बनेगा। उल्लेखनीय है च्चतम न्यायालय के न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ भी कह चुके है कि आपसी सहमति से बने सबंधो में भी पोक्सो कानून की वजह से एक पक्ष को बहुत सी दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है। जबकि के आयु के बाद टीनएजर्स रिस्क को देखते हुए फैसला ले लेते हैं।