नयी दिल्ली : सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विवाद के बीच वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शनिवार को कहा कि समाज में सरकारी या अन्य आदेश की बजाय भीतर से होने वाले सुधार ज्यादा आसान होते हैं। भाजपा नेता ने कहा कि उनकी निजी राय है कि कोई एक मौलिक अधिकार किसी अन्य को खत्म नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि धार्मिक परंपरा और धर्म के प्रबंधन के संदर्भ में कहना है कि जब तक कोई प्रथा मानवीय मूल्यों के खिलाफ ना हो जाए, कुछ मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल अन्य मौलिक अधिकारों को खत्म करने के लिए करने से संभवत: नयी तरह की चुनौतियां पैदा होंगी।
उच्चतम न्यायालय द्वारा 10 से 50 साल के उम्र की महिलाओं पर सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध को हटाये जाने के बावजूद वे इस परंपरा को बनाये रखने के हिमायती लोगों के विरोध के कारण अब तक मंदिर में प्रवेश करने में सफल नहीं रही हैं। प्रथम अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान देते हुए जेटली ने कहा कि एक ही संविधान सभा ने समानता और गरिमा के अधिकार के साथ-साथ धर्म को मानने और धार्मिक संस्थानों को प्रबंधित करने का अधिकार भी दिया। मंत्री ने कहा, “क्या एक मौलिक अधिकार किसी अन्य पर हावी हो सकता है? क्या एक अधिकार दूसरे को खत्म कर सकता है? क्या एक अन्य को निष्प्रभावी कर सकता है? उत्तर है- ना। दोनों बने रहेंगे इसलिए दोनों को सौहार्दपूर्ण तरीके से एकसाथ रहना होगा।”
जेटली ने कहा कि भारतीय समाज में सामाजिक सुधारों की दिशा में काम होता रहा है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह, सती, द्विविवाह, बहुविवाह पर प्रतिबंध और विधवा विवाह और संपत्ति में महिलाओं को समान अधिकार दिये जाने से सामाजिक सुधार किये गए।
उन्होंने कहा, “इसलिए सरकारी या अन्य आदेशों के मुकाबले समाज में भीतर से होने वाले सुधार ज्यादा आसान होते हैं।”