राजपथ का नाम होगा अब कर्तव्य पथ, भारत सरकार ने किया बड़ा फैसला - Punjab Kesari
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राजपथ का नाम होगा अब कर्तव्य पथ, भारत सरकार ने किया बड़ा फैसला

नई दिल्ली की जिस ऐतिहासिक सड़क पर आप बरसों से गणतंत्र दिवस परेड में जवानों के पदचिन्हों को

नई दिल्ली की जिस ऐतिहासिक सड़क पर आप बरसों से गणतंत्र दिवस परेड में जवानों के पदचिन्हों को सुनते आ रहे हैं, उसका नाम अब राजपथ नहीं रहेगा। केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम राजपथ और राष्ट्रपति भवन से बदलकर इंडिया गेट करने का फैसला किया है। नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) ने राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन का नाम बदलने के लिए 7 सितंबर को एक विशेष बैठक बुलाई है, जिसमें नए नाम को औपचारिक रूप से मंजूरी दी जाएगी। इसके बाद अगले दिन यानी 8 सितंबर की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस क्षेत्र का उद्घाटन करेंगे। सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत क्षेत्र को नए सिरे से विकसित किया गया है।
राजपथ का संबंध ब्रिटिश किंग किंग जॉर्ज पंचम से है। इतना ही नहीं, जिस स्थान पर प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करेंगे, वहां बहुत पहले किंग जॉर्ज पंचम की एक मूर्ति हुआ करती थी। गौरतलब है कि बोस ने किंग जॉर्ज पंचम के खिलाफ विद्रोह किया था। किंग जॉर्ज पंचम वर्ष 1911 में दिल्ली दरबार में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे और उनके सम्मान में ब्रिटिश काल में इस सड़क का नाम किंग्स वे रखा गया था। आजादी के बाद ही सेंट्रल विस्टा का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया। इसकी ओर जाने वाली एक सड़क का नाम क्वींस-वे था, जिसे अब आप जनपथ के नाम से जानते हैं।
पहले अल्बुकर्क रोड का नाम बदला गया
राजधानी की सड़कों का नाम बदलने के संबंध में अल्बुकर्क रोड का पहला नाम बदला गया था। महात्मा गांधी ने अपने जीवन का अंतिम समय अल्बुकर्क रोड पर बिड़ला हाउस में बिताया था, इसलिए उनकी हत्या के तुरंत बाद इस सड़क का नाम 30 जनवरी मार्ग रखा गया। आजादी के आठ साल बाद 1955 में किंग्स-वे राजपथ और क्वींस-वे जनपथ बन गया। यॉर्क रोड, जहां पंडित जवाहरलाल नेहरू को 2 सितंबर, 1946 को अंतरिम सरकार बनने पर देश में रहने के लिए बंगला मिला था, का नाम बदलकर मोतीलाल नेहरू मार्ग कर दिया गया। डॉ राजेंद्र प्रसाद क्वींस विक्टोरिया रोड पर एक बंगले में रहते थे, इसलिए सड़क का नाम। देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद का आवास किंग एडवर्ड रोड पर था, फिर उनकी मृत्यु के बाद इसका नाम बदलकर मौलाना आजाद रोड कर दिया गया।
मोदी सरकार में बदलें इन सड़कों के नाम
1970 और 1980 के दशक के मध्य में राजधानी की कई सड़कों का नाम बदल दिया गया। मौजूदा सरकार के कार्यकाल में भी सड़कों के नाम बदलने का सिलसिला जारी है। साल 2016 में रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया, जहां प्रधानमंत्री आवास है। इससे एक साल पहले औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया गया था। 2017 में डलहौजी रोड का नाम बदलकर दारा शिकोह रोड कर दिया गया। अकबर रोड का नाम बदलने के कई प्रस्ताव भी आए हैं, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
राजपथ पर नहीं हुई पहली परेड
साल 1950 की पहली गणतंत्र दिवस परेड इरविन स्टेडियम में हुई थी, जिसे आज हम नेशनल स्टेडियम के नाम से जानते हैं। इसके बाद भी इरविन स्टेडियम, किंग्स-वे कैंप से लेकर लाल किला और रामलीला मैदान तक अगले चार साल तक गणतंत्र दिवस चलता रहा। 1955 में, राजपथ 26 जनवरी की परेड का स्थायी स्थल बन गया। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का 3 किमी का हिस्सा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत आता है। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना में न केवल राजपथ का नाम बदलने जा रहा है, बल्कि इसका रूप भी काफी भव्य हो गया है। राजपथ को दोनों तरफ से 6 फीट चौड़ा किया गया है।

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