राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। पक्ष लगातार निलंबित विपक्षी सांसदों द्वारा माफी की मांग कर रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि संसद में जनता की आवाज़ उठाने के लिए माफी बिल्कुल नहीं मांगी जा सकती।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘‘किस बात की माफ़ी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं!’’
किस बात की माफ़ी?
संसद में जनता की बात उठाने की?बिलकुल नहीं!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 30, 2021
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मंगलवार को कहा कि निलंबित किए गए राज्यसभा के 12 विपक्षी सदस्यों को ‘दुर्व्यवहार’ के लिए उच्च सदन के भीतर माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ये सदस्य सभापति और सदन से माफी मांग लेते हैं तो फिर सरकार उनके प्रस्ताव (निलंबन रद्द करने के) पर सकारात्मक रूप से विचार करने के लिए तैयार है।
वहीं विपक्ष का कहना है कि निलंबन की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन है। 12 सदस्यों के निलंबन की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए विपक्षी दलों ने आज राज्यसभा से वाकऑउट कर दिया। राज्यसभा के शून्यकाल में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 12 सदस्यों के निलंबन की प्रक्रिया में नियमों और परंपराओं का उल्लंघन किया गया।
उन्होंने कहा कि जब संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी निलंबन का प्रस्ताव रख रहे थे उस समय उन्होंने व्यवस्था का प्रश्न उठाया था लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई। खड़गे ने कहा, ‘‘व्यवस्था का प्रश्न उठाने वाले सदस्य को अनुमति दिए जाने का नियम है। लेकिन मुझे इसकी अनुमति नहीं दी गई। यह संसदीय परंपरा के खिलाफ है।’’
राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने ठुकराया 12 सांसदों का निलंबन रद्द करने का अनुरोध
दरअसल, संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया। उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कल इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।