इस समय कांग्रेस सांसद राहुल गांधी वायनाड के दौरे पर है। इसी बीच उन्होंने कहा कि आदिवासियों को प्रतिबंधित और वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए।आदिवासियों को जंगलों में रहने तक ही प्रतिंबंधित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि पूरा ग्रह उनके लिए खुला होना चाहिए। बता दें राहुल गांधी ने यह भी कहा कि एक तरफ हम आदिवासी कहते हैं और दूसरी तरफ वनवासी कहते हैं, लेकिन वनवासी शब्द के पीछे बहुत अजीब सा तर्क है, जो इस बात से इनकार करता है कि आदिवासी भारत के मूल मालिक हैं और उन्हें जंगलों में रहने के लिए प्रतिबंधित करता है।
दरअसल, लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी शनिवार को पहली बार वायनाड दौरे पर गए। दौरे के पहले दिन उन्होंने आदिवासी समुदाय टोडा के लोगों से मुलाकात की, उनके देवता के दर्शन किए एवं पारंपरिक नृत्य और खाने का भी आनंद लिया।
राहुल गांधी ने आदिवासियों को संबोधित करते हुए कहा….
आपको बता दें वायनाड दौरे के दूसरे दिन रविवार को राहुल गांधी ने आदिवासियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘आपको (आदिवासी) प्रतिबंधित और वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए। पूरा ग्रह आपके लिए खुला होना चाहिए। ये एक सोच है और दूसरा सोच वनवासी शब्द का इस्तेमाल है। एक तरफ हम आदिवासी कहते हैं और दूसरी ओर वनवासी भी कहते हैं। वनवासी शब्द के पीछे जो कारण बताया गया, वह बहुत अजीब है। वनवासी शब्द के अर्थ के मुताबिक, यह इस बात से इनकार करता है कि आप भारत के मूल मालिक हो और आपको जंगलों में रहने के लिए प्रतिबंधित करता है।
7 अगस्त को उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल कर दी गई
इसके साथ ही राहुल गांधी ने शनिवार को कलपेट्टा में एक जनसभा भी संबोधित की। इस दौरान उन्होंने मणिपुर के हालातों पर चिंता जताई और कहा कि 19 साल के राजनीतिक करियर में उन्होंने कभी ऐसा नहीं देखा। मोदी सरनेम मामले में 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी। इसके बाद 7 अगस्त को उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल कर दी गई।