सुप्रीम कोर्ट ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की कोर्ट की निगरानी में जांच किए जाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर बुधवार को महत्वपूर्ण सुनवाई शुरू कर दी। राफेल मामले पर सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण से कहा कि हम आपको पूरी सुनवाई का मौका दे रहे हैं। इसका सावधानीपूर्वक इस्तेमाल कीजिये, केवल जरूरी चीजों को ही कहिये।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि सरकार गोपनीयता प्रावधान की आड़ ले रही है, उसने राफेल विमानों की कीमत का खुलासा नहीं किया है। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण का विरोध किया। राजग सरकार ने ये विमान खरीदने की प्रक्रिया के तहत निविदा आमंत्रित करने की प्रक्रिया से बचने के लिये अंतर-सरकार समझौते का रास्ता अपनाया। उन्होंने कहा कि इस सौदे के संबंध में फ्रांस सरकार की ओर से कोई शासकीय गारंटी नहीं है।
उन्होंने कहा कि शुरू में केन्द्रीय कानून मंत्रालय ने इस मुद्दे पर आपत्ति की थी परंतु बाद में वह अंतर-सरकार समझौते के प्रस्ताव पर सहमत हो गया। प्रशांत भूषण अपनी तथा बीजेपी के दो नेताओं एवं पूर्व मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी की ओर से बहस कर रहे थे। प्रशांत भूषण ने रक्षा खरीद प्रक्रिया का जिक्र करते हुये कहा कि भारतीय वायु सेना को 126 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता थी और उसने इनके लिये रक्षा खरीद परिषद को सूचित किया था।
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शुरू में 6 विदेशी कंपनियों ने आवेदन किया था परंतु शुरूआती प्रक्रिया के दौरान दो कंपनियों को ही अंतिम सूची में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि यह सौदा बाद में फ्रांस की दसाल्ट कंपनी को मिला और सरकार के स्वामित्व वाला हिन्दुस्तान ऐरोनाटिक्स लि इसका हिस्सेदार था। परंतु अचानक ही एक बयान जारी हुआ जिसमें कहा गया कि तकनीक का कोई हस्तांतरण नहीं होगा और सिर्फ 36 विमान ही खरीदे जायेंगे। भूषण ने कहा कि प्रधान मंत्री द्वारा इस सौदे में किये गये कथित बदलाव के बारे में कोई नहीं जानता। यहां तक कि रक्षा मंत्री को भी इसकी जानकारी नहीं थी।
इस मामले में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और अधिवक्ता विनीत ढांडा तथा आप पार्टी के सांसद संजय सिंह के वकील ने भी भूषण से पहले बहस की। शर्मा ने बहस शुरू करते हुये अंतर-सरकार समझौते को गैरकानूनी बताया और सारे मामले की जांच का अनुरोध किया इसी तरह, ढांडा ने राफेल सौदे में उनकी याचिका में उठाये गये बिन्दुओं पर सरकार से सही जवाब देने का अनुरोध किया। आप पार्टी के नेता के वकील धीरज सिंह ने राफेल लड़ाकू विमानों की संख्या 126 से घटाकर 36 करने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया।
उन्होंने कहा कि सरकार को इनकी संख्या बढ़ानी चाहिए। भूषण और सिंह ने कहा कि 36 विमानों के सौदे पर हस्ताक्षर हुये साढ़े तीन साल बीत चुके हैं लेकिन अभी तक एक भी विमान भारत को नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि पहला विमान सितंबर, 2019 में आना है और इनकी आपूर्ति 2022 तक जारी रहेगी। कोर्ट में इन याचिकाओं पर बहस अभी भी जारी है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ के सरकार द्वारा सीलबंद लिफाफे में सौंपे गये विमान की कीमतों के ब्योरे पर विचार करने की उम्मीद है। शुरूआती दलील अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा रख रहे हैं। उन्होंने कोर्ट से कहा कि अंतर सरकारी समझौता ‘अवैध’ है और उन्होंने मामले की जांच की मांग की। शर्मा के अतिरिक्त अधिवक्ता विनीत ढांडा ने भी मामले में याचिका दायर की है। बाद में आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने भी एक याचिका दायर की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी एक संयुक्त याचिका दायर की है। शीर्ष अदालत में फिलहाल मामले में सुनवाई चल रही है।