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राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा- स्वच्छ हवा में आम जनता को सांस लेना एक बुनियादी अधिकार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज कहा कि स्वच्छ हवा में सांस लेना बुनियादी मानवाधिकार है और इसे सुनिश्चित

देश के राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने औपचारिक रूप से कहा कि आम जनता को स्वच्छ हवा में सांस लेना एक महत्वपूर्ण मानवाधिकार है और इसी के साथ ही सुनिश्चित करना पूर्ण रूप से प्राथमिकता होना चाहिए। 
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राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर बुधवार को यहां राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार, राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार और राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता पुरस्कार प्रदान करने के मौके पर यह बात कही। उन्होंने इस अवसर पर‘ईवी-यात्रा पोर्टल’का भी शुभारंभ किया। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा निकटतम सार्वजनिक ईवी चार्जर के लिए इन-व्हीकल नेविगेशन की सुविधा के लिए‘ईवी-यात्रा पोर्टल’विकसित किया गया है। इस मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘ यह सुनिश्चित करना हम सभी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है कि आने वाली पीढ़ियां प्रदूषण मुक्त वातावरण में सांस ले सकें, अच्छी प्रगति कर सकें और स्वस्थ जीवन जिएं। स्वच्छ वातावरण में सांस लेना एक बुनियादी मानवाधिकार है। पर्यावरण की रक्षा करके हम अनेक मानवाधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।’’ 
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 मुर्मू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों का सामना करते हुए ऊर्जा संरक्षण वैश्विक और राष्ट्रीय प्राथमिकता है। यद्यपि भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन विश्व औसत के एक तिहाई से भी कम है, फिर भी एक जिम्मेदार देश के रूप में भारत पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है राष्ट्रपति ने कहा कि कॉप-26 में भारत ने‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’यानी पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली का संदेश दिया था, जिसमें विश्व समुदाय से पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा, ‘‘ भारतीय संस्कृति और परंपरा में, हमारी जीवनशैली हमेशा जीवन के संदेश के अनुरूप रही है। प्रकृति का सम्मान करना, प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद न करना और प्राकृतिक संपदा को बढ़ने के उपाय करना ऐसी जीवन शैली का अभिन्न अंग है। भारत इस तरह की जीवन शैली को अपनाने की दिशा में पूरे विश्व समुदाय को आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। ’’ 
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जी-20 में भारत की अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जी-20 देश, दुनिया के कुल सकल उत्पाद में 85 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75 प्रतिशत का योगदान करते हैं। इसके अलावा दुनिया की 60 फीसदी आबादी भी जी-20 देशों में रहती है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान‘वसुधैव कुटुम्बकम’के आदर्श के अनुसार‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’के विषय को अपनाया है और हम इसे विश्व पटल पर प्रचारित भी कर रहे हैं. राष्ट्रपति ने सभी पुरस्कार विजेताओं, विशेषकर बच्चों और राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार के विजेताओं की उनकी नवीन सोच और कार्यप्रणाली के लिए सराहना की। उन्होंने कहा कि उनके नवाचारों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग प्रेरित हो सकें और पर्यावरण संरक्षण के नए तरीके विकसित कर सकें। राष्ट्रपति ने सभी से संकल्प लेने का आग्रह किया,‘‘ हम जो कुछ भी करेंगे वह हमेशा प्रकृति के पक्ष में होगा, प्रकृति के खिलाफ कभी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने में ही मानव कल्याण निहित है। ’’ 

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